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491  साल पुराने कल्याणाजी मंदिर से जुड़ी है कई रोचक कथाएं

-53 वीं पदयात्रा गुरूवार को होगी चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से रवाना

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jaipur

491  साल पुराने कल्याणाजी मंदिर से जुड़ी है कई रोचक कथाएं

हर्षित जैन.
जयपुर.
जयपुर से 75 किलोमीटर और टोंक से 65 किलोमीटर की दूरी पर डिग्गी स्थान पर कल्याणजी का मंदिर कई मान्यताओं के जुडऩे से विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में पहचान रखता है। संवत् 1584 यानि वर्ष 1527 में मंदिर का पुर्ननिर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में हुआ। मंदिर की स्थापना से पहले की कई रोचक कथाएं भी यहां से जुड़ी हुई है। तिवाड़ी ब्राह्मणों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया, हर साल श्रावण मास में लक्खी मेले का आयोजन बीते कई सालों से यहां किया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से इस दिन स्थानीय अवकाश भी घोषित किया जाता है। झलझूलनी एकादशी के अलावा वैशाख पूर्णिमा और श्रावण माह की अमावस्या को भी डिग्गी में मेले का आयोजन होता है।

दसवीं शताब्दी का मंदिर
मंदिर के सेवा कार्यों से जुड़े लोगों का कहना है कि यह मंदिर दसवीं शताब्दी का बना हुआ है। बाद में इसकी पुन:प्रतिष्ठा की गई। इस विषय में एक दंतकथा भी प्रचलित है। सप्तऋषि इस स्थान पर तपस्या किया करते थे। इन्द्र देव ने तपस्या भंग करने की दृष्टि से उर्वशी को वहां भेजा। ऋषियों ने इस पर नाराज होकर उसे श्राप दे दिया। जिससे वह दिवा घोड़ी के रूप में रहने लगी। उस क्षेत्र का राजा उसे अपने साथ ले गया। उर्वशी ने भी आखिर राजा को श्राप दे दिया जिससे वह कोढ़ी हो गया। कोढ़ मिटाने के लिए वह द्वारिका गया जहां सागर तट पर उसे यह प्रतिमा मिली। इस प्रतिमा को कल्याण कह कर वह डिग्गी ले आया और मंदिर बनाकर प्रतिष्ठित कर दिया।


भुने हुए चने चढ़ते हैं प्रसाद में
कल्याण जी का मुख्य प्रसाद भुने हुए चने होते हैं भक्तों द्वारा चने ही यहां चढ़ाएं जाते हैं। मंदिर में हरिहर, शिव पार्वती, विष्णु और लक्ष्मी की प्रतिमाएं हैं। जो विभिन्न मतावलंबियों की आस्था का प्रतीक है।

प्रशासन नहीं दिख रहा सक्रिय
सेवा कार्यों से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि पदयात्रा आने से एक महीने पहले मेले की तैयारियां शुरू हो जाती थी, आईजी मालिनी अग्रवाल खुद तीन से चार बार यहां आती थी। अबकी बार उनका तबादले होने से और सरकारी प्रशासन भी मेले की व्यवस्थाओं की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि मंगलवार को कई पुलिस के अधिकारी ने मेले की स्थिति का जायजा लिया और संबंधित दिशा निर्देश दिए। वहीं मंदिर प्रांगण और अन्य जगहों पर अतिक्रमण होने के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर बार ७०० जवान मेले की सुरक्षा के लिए लगाए जाते थे। जिला कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार ने भी मौका स्थिति का जायजा नहीं लिया है। ग्राम पंचायत की ओर से पुराने बस स्टैंड पर कंट्रोल रूम बनाया गया है। प्रशासन की ओर से रूट चार्ट अभी तक तय नहीं हो पाया है।

61 करोड़ की लागत से बनी सड़क और छतरियां
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद देवस्थान विभाग और आरटीडीसी के द्वारा मंदिर के आसपास सौंदर्यीकरण, अन्य कार्यों के लिए 61 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। जिसमें गांव के चारों ओर रिंग रोड बनाई जा चुकी है, ताकि ट्रैफिक बाधित न हो। वहीं दो छतरियों, तालाब, रसोई का काम लगभग पूरा हो चुका है।

53 वीं पदयात्रा कल होगी रवाना
राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कल्याण जी डिग्गीपुरी की 53 वीं लक्की पदयात्रा हर वर्ष की भांति सावन सुदी 6 गुरुवार को सुबह 9 बजे चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से विधिवत ध्वज की पूजा अर्चना कर ध्वज के साथ रवाना होगी। पदयात्रा संघ के अध्यक्ष और संचालक श्रीजी शर्मा लोहे वालों ने बताया है कि पदयात्रा के निशान मुख्य ध्वज की पूजा अर्चना कर पंचायती राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, सांसद रामचरण बोहरा, विधायक सुरेंद्र पारीक, समाजसेवी नवल सिंह झराणा, देवस्थान विभाग के चेयरमेन एसडी शर्मा, ठाकुर राम प्रताप सिंह, राष्ट्रीय कथावाचक देवी वैभवी, एडवोकेट नवीन टाक सहित अन्य गणमान्य लोग मुख्य ध्वज की पूजा अर्चना कर लाखों पदयात्रियों के साथ मुख्य ध्वज को रवाना करेंगे रवाना। श्रीजी शर्मा ने बताया कि 16 अगस्त को यात्रा मदरामपुरा, 17 अगस्त को हरसूलिया, 18 अगस्त को फागी, 19 अगस्त को चौंसला और 20 अगस्त को विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भगवान कल्याण जी महाराज, डिग्गीपुरी पहुंचेगी। जहां पर शाम 5 बजे भव्य शोभायात्रा के साथ मुख्य ध्वज को कल्याण जी के यहां चढ़ाया जाएगा। यात्रा के दौरान रोजाना विश्राम स्थल पर संपूर्ण रात्रि भजन, रासलीला आदि के कार्यक्रम होंगे।