पापा चाहते थे
मैं डॉक्टर बनूं
अनुराधा कहती हैं कि जब उन्होंने पापा से कहा कि क्लासिकल डांसर बनना है, तो उन्होंने पूछा था कि क्या इसमें कोई कॅरियर स्कोप है? तब मैंने उनसे कहा था कि डॉक्टर-इंजीनियर तो हर कोई बनता है, लेकिन क्लासिकल डांसर तो हजारों में से कोई एक बनता है। पापा तो राजी हो गए लेकिन आसपास के लोगों के ताने शुरू हो गए। अनुराधा कहती हैं उन्होंने ठान लिया था कि वही करना है जिसे करके खुशी मिलती है। 1986 में पंडित बिरजू महाराज सलेक्शन प्रोसेस के लिए भोपाल आए थे। बिरजू महाराज ने उनसे पूछा कि वह क्या कर रही हैं? तो उनका कहना था एमबीबीएस की तैयारी। ऐसे में बिरजू महाराज को लगा कि अगर उन्हें सलेक्ट कर लिया तो एक सीट बेकार हो जाएगी। तब उन्होंने अनुराधा को कहा कि अगर डांस के लिए सलेक्शन हो गया तो एमबीबीएस छोडऩी होगी। सलेक्शन हो गया और डांसशुरू हो गया। वह कहती हैं कि उन्होंने 2019 में एक वाद्ययंत्र की खोज की थी, जो पैर से बजता है क्योंकि ज्यादातर यंत्र हाथ या मुंह से बजाए जाते हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने अपनी लाइफसे रिटायरमेंट शब्द हटा दिया है।
क्लासिकल डांस की प्रस्तुति को लेकर अनुराधा का कहना है कि भारत में आज भी महिलाओं को डांस की स्वीकृति नहीं मिलती। उनके पास एक महिला डांस सीखने के लिए आती थी। चार साल तक परफॉर्म किया लेकिन शादी के बाद उसे डांस करने की परमिशन नहीं मिली। वह कहती हैं कि भारतीयों को समझ पाना जरा मुश्किल है। विदेशों में ऐसा नहीं है।