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ईयरफोन के शोर से वायरल अटैक और कान सुनना कर रहे है बंद, ये है लक्षण, जानें कैसे करें बचाव

ईयरफोन्स ,ब्लूटूथ बड्स और अब पॉड्स। इन सब डिवाइस के आप भी शौकीन होंगे। चाहे सुबह की सैर पर जाना हो या दफ्तर में काम करना हो। सबसे पहले हम हमारे इयरफोन्स खोजते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि कुछ समय का सुकून आपको जिंदगी भर का इयर लॉस दे सकता हैं।

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जयपुर। ईयरफोन्स ,ब्लूटूथ बड्स और अब पॉड्स। इन सब डिवाइस के आप भी शौकीन होंगे। चाहे सुबह की सैर पर जाना हो या दफ्तर में काम करना हो। सबसे पहले हम हमारे इयरफोन्स खोजते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि कुछ समय का सुकून आपको जिंदगी भर का इयर लॉस दे सकता हैं। हर आयु के लोगों को कम उम्र से ही हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ रहा हैं।

हाल हीं में मशहूर गायिका अल्का याग्निक सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग लॉस बीमारी का शिकार हुई है। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि तेज आवाज में संगीत सुनने से बचें। राजस्थान पत्रिका ने जब विशेषज्ञों से इस बारे में गहराई से जाना तो सामने आया कि तेज आवाज में घंटों अपने कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अन्य गेमिंग उपकरणों का इस्तेमाल करने से कम उम्र में ही सुनने की क्षमता कम हो रही है। पहले जहां 60 - 65 वर्ष की उम्र यह समस्या देखने को मिलती थी, अब वह कम उम्र में ही युवाओं और बच्चों को अपना शिकार बना रही है। राजधानी जयपुर में ऐसे केस सामने आ रहे हैं।

क्या है सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग लॉस

मरीज को सुनने में परेशानी होने लगती है। एक समय के बाद या अचानक सुनाई देना बंद हो जाता है। सुनने की क्षमता दो तरीके से जाती है। एक कंडेक्टिव हियरिंग दूसरा सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग। सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग यह वो हिस्सा होता है जो कान के अंदर से लेकर दिमाग तक जाने वाली नस के माध्यम से आवाज ब्रेन तक पहुंचाती है। लगातार तेज आवाज में रहने से ये नसें भी डैमेज हो सकती हैं।

हर सप्ताह आ रहे पांच से दस मरीज

मौसम में बदलाव के दौरान अलग-अलग वायरल एक्टिव हो जाते हैं। जो शरीर को नुकसान पहुंचा देते हैं। ओपीडी में हर सप्ताह 5 से 10 मरीजों में ऐसा देखा जा रहा है। वो सीवियर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लोस का शिकार होकर पहुंच रहे हैं। यह एक प्रकार का डिसऑर्डर है। इन दिनों वायरल अटैक की वजह से लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इस कारण उन्हें सुनने में परेशानी हो रही है। इन मरीजों की उम्र 25 से 60 वर्ष तक है।

धीरे-धीरे भी बंद हो रहा सुनाई देना

विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी की वजह वायरल इंफेक्शन के अलावा जन्मजात व बढ़ती उम्र भी है। उनके अनुसार यह एक ऐसा डिसऑडर है, जिनमें सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। कान के अंदर पैथोलॉजी और कॉकलियर तंत्रिका जो दिमाग तक ओडियो सिगनल को पहुंचाती है। उसके डेेमेज होने से सुनाई देना बंद हो जाता है। ऐसा कई बार अचानक होता है तो कई बार धीरे धीरे सुनने की क्षमता कम हो जाती है।

तीन से पांच दिन मेें इलाज शुरू होना जरूरी

कोविड के बाद ऐसे केस बढ़े हैं। वर्तमान में यह पोस्ट वायरल के बाद चपेट में ले रहे हैं। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचना होता है। उसके तीन से पांच दिन के भीतर ठीक होने के चांस ज्यादा रहते हैं। 50-60 फीसदी तक मरीज को वापस सुनाई देने लगता है। इलाज में स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है। दवा देते हैं और इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ज्यादा दिक्कत होने पर हायपर बैरिक ऑक्सीजन थैरेपी देते हैं। उसमें ऑक्सीजन का दबाव दिया जाता है, जो सुनने की नस, दिमाग की नली, नसों तक पहुंचाया जाता है। जिससे धीरे धीरे सुनने की ग्रोथ होने लगती है। इस बीच उसकी मशीनों से सुनने की जांच भी की जाती है।
-डॉ. पवन सिंघल, एचओडी, ईएनटी विभाग

आमतौर पर सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग लॉस वृद्धास्था या बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अधिकतर उन लोगों में पाई जाती है, जो लाउड साउंड से एक्सपोज्ड होते हैं। डीजे, बैंड—बाजा वाले, मेटल या शोर वाली फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों में यह बीमारी अधिक होती है। अचानक एसएनएचएल होता है तो मरीज 48 से 70 घंटे के भीतर हमारे पास आता है तो उसका काफी हद तक इलाज किया जा सकता है। 90 डिसेबल का साउंड अगर लागातार 5-6 घंटे सुन रहा है या 120 डिसेबल का साउंड एकदम से सुनाई देता है तो इससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है।

- डॉ राघव मेहता, ईएनटी विभाग्याध्यक्ष, जयपुरिया अस्पताल

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