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जयपुर

‘चाय की चुस्की’ से भरेगा सालों से सूखा जयपुर का आमेर मावठा, पढ़ें रोचक खबर

जयपुर के आमेर मावठे ( Jaipur Amer Mavtha ) के दिन जल्द ही फिरने वाले हैं। यदि सब कुछ सही रहा तो दिन दूर नहीं जब ‘सूखे’ की स्थिति झेल रहा आमेर मावठा पानी से लबालब भरा हुआ नज़र आएगा। दरअसल, गहलोत सरकार ( Ashok Gehlot Government ) ने आमेर मावठे को बीसलपुर के पानी ( Water form Bisalpur ) से भरने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।

जयपुरAug 21, 2019 / 02:49 pm

Nakul Devarshi

ashok gehlot tea amer
जयपुर।

जयपुर के आमेर मावठे ( Jaipur Amer Mavtha ) के दिन जल्द ही फिरने वाले हैं। यदि सब कुछ सही रहा तो दिन दूर नहीं जब ‘सूखे’ की स्थिति झेल रहा आमेर मावठा पानी से लबालब भरा हुआ नज़र आएगा। दरअसल, गहलोत सरकार ( Ashok Gehlot Government ) ने आमेर मावठे को बीसलपुर के पानी ( Water form Bisalpur ) से भरने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। जलदाय मंत्री डॉ बीड़ी कल्ला ने विभाग के अफसरों को इस सिलसिले में संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए हैं।

‘चाय की चुस्की’ के दौरान उठी बात
बीसलपुर बांध के लबालब होते ही अब मावठे में फिर से पेयजल पहुंचाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दरअसल, मंगलवार सुबह जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित साहू चाय वाले के यहां विधायक रफीक खान, गोपाल मीणा ने सीएम अशोक गहलोत को मावठे और रामगढ़ बांध तक बीसलपुर का ओवरफ्लो हो रहा पानी लाने की जरूरत जताई।
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इस पर सीएम गहलोत ने जलदाय मंत्री बीडी कल्ला को इस पर विचार करने और सार्थकता परखने के लिए कहा। शाम होते-होते जलदाय विभाग के अफसर सक्रिय हो गए और आनन-फानन में अधिकारियों की बैठक ली। इसमें तय किया गया कि मौजूदा स्थितियों में बीसलपुर का पानी मावठे में पहुंचाया जा सकता है या नहीं, इस पर मंथन किया जाएगा।

महकमें के अफसर भी आये हरकत में
जलदाय मंत्री के निर्देश पर विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा चर्चा की और संबंधित अधिकारियों को इसकी कार्ययोजना का प्रारूप इस तरह तैयार करने के लिए कहा, जिससे कि आमेर में पेयजल की कोई समस्या नहीं आए।

इसलिए सूख गया था मावठा

दरअसल, वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर ब्रह्मपुरी पम्पिंग स्टेशन से 250 एमएम व्यास की पाइप लाइन डाली जाकर मावठे को भरना शुरू किया गया था, लेकिन इसके बाद वर्ष 2015-16 में आमेर शहर में पानी की गम्भीर समस्या को देखते हुए उस पाईप लाइन से बद्रीनाथ एवं नवलखा पम्प हाउस को जोड़कर आमेर शहर में पेयजल व्यवस्था का संवर्धन किया गया और मावठे को भरना रोक दिया गया था।
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2020 तक की बनी प्लानिंग

अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता देवराज सोलंकी ने बताया कि आमेर शहर के लिए 24.72 करोड़ रूपये की पुनर्गठन योजना का कार्य प्रगति पर है, जो कि अप्रैल 2020 में पूर्ण किया जाना है। इस योजना में न्यू फिल्टर प्लांट मानबाग से राइजिंग मेन से पानी रैगर मौहल्ला एवं पीली की तलाई को दिया जाएगा।

न्यू फिल्टर प्लान्ट पम्पिंग स्टेशन से डाली जा रही 500 एमएम की मुख्य पाईप लाइन को नयी माता मन्दिर मोड़ पर वर्तमान में मौजूद बिलोनिया की ढाणी से नवलखा पम्प हाउस तक पुरानी सीमेन्ट पाईप लाइन से मिलान करते हुए नवलखा पम्प हाउस पर से 1.5 से 2.0 एमएलडी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है।

ऐसे चलेगी मावठा भरने की प्रक्रिया

अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता ने बताया कि पुरानी सीमेन्ट पाईप लाइन की पहले टेस्टिंग की जाएगी और अगर लाइन सफल होती है तो इसका मिलान नई पाईप लाइन से कर आमेर को 1.5 से 2.0 एमएलडी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। यह कार्य एक माह में पूरा किया जा सकता है। टेस्टिंग में यदि पुरानी पाइप लाइन सफल नहीं होती है तो 300 एमएम की नई डीआई पाइप लाइन डालकर नवलखा पम्प हाउस को मानबाग पम्पिंग स्टेशन से बीसलपुर का पानी दिया जा सकता है। मानबाग से आमेर को बीसलपुर का पानी मिलने के बाद 1.5 से 2.0 एमएलडी पानी मावठे के लिए छोडा जा सकता है और 3 महीनेे में मावठे को पूरा भरा जा सकता है।

ये भी हो सकता है एक विकल्प
आमेर स्थित मावठे और सागर में पानी नहीं आने के पीछे भी इनका रखरखाव ही बड़ा कारण है। जल संरक्षण के लिए काम कर रहे विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर इनमे पानी नहीं आने पर भी इनका साल भर तक भरे रहने का प्रबंध राज्य सरकार कर सकती है।

इसका सबसे बड़ा जरिया जलमहल हो सकता है। यह पूरे साल के दौरान भरा रहता है। बारिश के समय तो इसमे पानी ओवर फ्लो होकर नालों में भी चला जाता है। इस ओवर फ्लो पानी को 50 हजार लीटर क्षमता का छोटा एसटीपी प्लांट लगाकर पहले से डली हुई पानी की लाइन से जोड़कर मावठे तक पहुंचाया जा सकता है।

अब उपयोगी नहीं रही लाइन से जोड़ा जा सकता है एसटीपी प्लांट

शहर के पुरा जल धरोहरों आमेर के सागर और मावठा को जीवित करना मुश्किल नहीं है। जल संरक्षण पर काम कर रहे पंकज साबू के अनुसार 7 साल पहले मावठे में पानी लाने के लिए सरकार ने सुभाष चौक के पास से बीसलपुर की लाइन को जोड़कर मावठे तक 4 इंच पाइप लाइन डाली थी। लेकिन पानी प्रेशर से नहीं पहुंचा। धीरे धीरे यह खत्म हो गया। वह लाइन अभी बेकार पड़ी है। जलमहल के नजदीक से यह लाइन गुजरती है। इसे एसटीपी से जोड़कर उपयोग में लिया जा सकता है।
यों पहुंचाएं पानी

साबू के अनुसार जलमहल में अभी मौजूद पानी की ऊपरी सतह का पानी लिया जा सकता है। उसे स्क्रीन कर उसका कचरा बाहर निकालकर उसे एसटीपी प्लांट से जोड़ा जा सकता है। वहां प्रदूषण नियंत्रण मंडल और आमेर विकास प्राधिकरण के मापदंडों के अनुसार उसका परिशोधन किया जाए और इस पानी को पहले से डली हुई बीसलपुर पाइप लाइन से जोड़ दिया जाए। इससे यह सीधे मावठे में पहुंचाया जा सकता है।

यह हो सकती है प्रक्रिया

आसानी से पहुंच सकता है मावठे और सागर में पानी सुभाष चौक के पास से बीसलपुर की लाइन को जोड़कर मावठे तक 4 इंच पाइप लाइन डाली थी। इसे उपयोगी बनाया जा सकता है। यह लाइन मानसागर के पास से गुजर रही है। इसे एसटीपी से जोड़कर पानी को रिसाइकल किया जाए तो आमेर के मावठे और बाद में सागर तक पानी पहुंचाया जा सकता है। 50 हजार लीटर का एसटीपी जलमहल पर लगाया जा सकता है। इसका पानी आमेर और मवाठे में भेजा जा सकता है।

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