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सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते यहां आसपास कई झोलाछाप भी सक्रिय हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मजबूरी में तत्काल राहत के लिए इनका ही दरवाजा खटखटना पड़ता है। ग्राम निवासी कृष्ण और जगदीश यादव ने बताया कि जब कभी बुखार या जुकाम-खांसी होती है, तो चौमूं न जाकर झोलाछापों की शरण लेनी पड़ती है। गांव के ही राधाकिशन ने बताया कि चौमूं विधायक से कई बार गांव में सरकारी डॉक्टर की व्यवस्था के लिए कहा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
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गोविंदगढ़ ब्लॉक में पांच हजार की आबादी वाले कई गांवों में उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हैं। इतना ही नहीं यहां कुशलपुरा, ढोढ़सर, सिंगोद, हस्तेड़ा सहित नौ पीएचसी भी हैं और इनकी आबादी पांच से अधिक है, लेकिन आमेर तहसील के बिहारीपुरा में इतनी आबादी होने के बावजूद उप स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है। यहां दसवीं कक्षा तक राजकीय विधालय है। पशु उपकेन्द्र भी है, लेकिन स्वास्थ्य केन्द्र नहीं।