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डेढ़ साल की बालिका से घिनौनी हरकत करने वाले को राजस्थान हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। कोर्ट ने बारां के 8 साल पुराने मामले में 10 साल की सजा और 17 हजार रुपए जुर्माने को घटाने से इनकार कर दिया। बारां की एससी—एसटी कोर्ट ने साढ़े चार साल पहले यह सजा दी थी, जिसके खिलाफ बारां निवासी संजय की अपील को न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने खारिज कर दिया। तथ्यों के अनुसार 6 अप्रेल 2010 को डेढ़ साल की बालिका रात 12 बजे मां के साथ सो रही थी। गायब मिलने पर उसे तलाशा गया और तड़के 4 बजे वह एक स्थान पर मिल गई, जहां अभियुक्त संजय भी मिला और परिजनों को देखते ही मौके से भाग गया। उसके कपड़ों पर रक्त के निशान देखे गए। बालिका को घर ले जाने पर रक्त निकलते देखा तो पुलिस में मामला दर्ज कराया गया। अपीलार्थी की ओर से कहा गया कि एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आई। यह भी कहा कि व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि गवाहों से अपराध की पुष्टि होती है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अभियुक्त न तो तड़के चार बजे मौके पर मौजूद होने का कारण स्पष्ट कर पाया और न ही परिजनों के पहुंचने पर भागने का कारण बता पाया। त 12 बजे मां के साथ सो रही थी। गायब मिलने पर उसे तलाशा गया और तड़के 4 बजे वह एक स्थान पर मिल गई, जहां अभियुक्त संजय भी मिला और परिजनों को देखते ही मौके से भाग गया। उसके कपड़ों पर रक्त के निशान देखे गए। बालिका को घर ले जाने पर रक्त निकलते देखा तो पुलिस में मामला दर्ज कराया गया। अपीलार्थी की ओर से कहा गया कि एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आई। यह भी कहा कि व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि गवाहों से अपराध की पुष्टि होती है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अभियुक्त न तो तड़के चार बजे मौके पर मौजूद होने का कारण स्पष्ट कर पाया और न ही परिजनों के पहुंचने पर भागने का कारण बता पाया।