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भ्रष्टाचारियों पर ट्रेप से पहले अपनो तक पर रखनी पड़ती है नजर, जानें कैसे रंगे हाथ पकड़ा जाता है रिश्वतखोर

घूसखोर को पकडऩे के लिए फू लप्रूफ होता है प्लान

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भ्रष्टाचारियों पर ट्रेप से पहले अपनो तक पर रखनी पड़ती है नजर, जानें कैसे रंगे हाथ पकड़ा जाता है रिश्वतखोर

मुकेश शर्मा/जयपुर. आइएएस, आइपीएस सहित कई भ्रष्टाचारियों को जाल में फांसने वाले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को ट्रेप से पहले अपनों पर नजर रखने के साथ ही गवाहों पर भी निगरानी रखनी पड़ती है। घूसखोर को पकडऩे वाली टीम में कुल छह जने होते हैं, जिसमें पीडि़त के साथ ही दो स्वतंत्र गवाह भी शामिल होते हैं। हालांकि एसीबी स्वतंत्र गवाह विश्वासपात्रों को ही बनाती है पर उनको भी मामला गोपनीय रखने के लिए पाबंद करती है। रिश्वत लेते पकड़ आने पर बरामद नोटों को धुलवाने पर रंग निकलता है, ये नोट भी एसीबी पीडि़त से ही लेती है। पत्रिका ने एसीबी अधिकारियों से समझी भ्रष्टाचारी को पकडऩे की पूरी कार्रवाई।

पहला कदम: शिकायत-कर्ता को करते पाबंद
एसीबी आने वाले पीडि़त का भ्रष्टाचारी को पकड़वाने के लिए मजबूती से डटा रहना चाहिए। कई बार पीडि़त शिकायत कर देते हैं, लेकिन बाद में उसको उजागर भी कर देते हैं। शिकायतकर्ता के साथ परिजनों को भी इस संबंध में बातचीत नहीं करने के लिए पाबंद किया जाता है।

दूसरा कदम: सत्यापन
शिकायत की पुष्टि के लिए सत्यापन की कार्रवाई करवाई जाती है। एसीबी के कर्मचारी को सत्यापन के लिए पीडि़त पर नजर रखने के लिए लगाया जाता है। पीडि़त से रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर एसीबी कर्मचारी प्रकरण की गोपनीयता बरतते हुए संबंधित आला अधिकारी को ही अवगत करवाता है।


तीसरा कदम: भ्रष्टाचारी का नाम आता सामने
ट्रेप पर जाने से पहले टीम लीडर, सत्यापन करने वाले कांस्टेबल, सत्यापन की रिकॉर्डिंग की स्क्रिप्ट बनाने वाले एसीबी के कम्प्यूटरकर्मी, पीडि़त व दो स्वतंत्र गवाह (किसी भी विभाग के सरकारी कर्मचारी) को ही जानकारी होती है कि किस भ्रष्टाचारी को पकडऩे जाना है। एसीबी इन सभी को विशेषतौर पर पाबंद करती है कि यह सूचना किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं जानी चाहिए।

चौथा कदम: जाल बिछाने का होता है रिहर्सल
कार्रवाई की जानकारी रखने वाली टीम को कार्रवाई वाले दिन एसीबी मुख्यालय में बुलाया जाता है। यहां कमरे में सत्यापन वाली रिकॉर्डिंग फिर से सुनी जाती है। पीडि़त से रिश्वत में दिए जाने वाले नोट लिए जाते हैं, उन पर रंग छूटने वाला पाउडर लगाया जाता है। पाउडर लगे नोट पीडि़त की जेब में स्वतंत्र गवाह से रखवाते हैं। स्वतंत्र गवाह के हाथ धुलवाए जाते हैं, इससे नोट पकडऩ के बाद उनका रंग स्वतंत्र गवाह के हाथ धुलवाने पर आना चाहिए। इस विधि में कागज, कपड़े और अन्य उपयोग में आने वाली सामग्री को जला दिया जाता है। फिर पीडि़त को अलग से भ्रष्टाचारी को रकम देने भेजा जाता है और स्वतंत्र गवाह लेकर एसीबी टीम उसके पीछे रवाना होती है। भ्रष्टाचारी के घर से करीब एक किलोमीटर दूर दूसरी टीम को पहुंचने के लिए कहा जाता है। लेकिन दूसरी टीम को यह पता नहीं होता है कि किसके घर दबिश देनी है।

अंतिम कदम : रंग छूटते ही पकड़ में आ जाता है
पीडि़त द्वारा भ्रष्टाचारी को रकम देने के बाद कुछ दूरी पर खड़ी एसीबी टीम को संकेत दिया जाता है। इस पर टीम तत्काल भ्रष्टाचारी के पास पहुंचती और उसकी कलाई को पकड़ती है। पीडि़त बताता है कि भ्रष्टाचारी ने रकम कहां रखी, तब स्वतंत्र गवाह से रकम तलाश करवाई जाती है। रकम मिलने पर भ्रष्टाचारी के हाथ धुलवाए जाते हैं। हाथों पर लगा रंग छूटने पर आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है। तब दूसरी टीम को भ्रष्टाचारी की सूचना दे तुरंत उसके घर सर्च के लिए भेजा जाता है। भ्रष्टाचारी को पकडऩे के बाद स्वतंत्र गवाह के सामने ही रिपोर्ट बनाते, किसने पकड़ा, क्या दस्तावेज बरामद हुए, कार्रवाई स्थल का नक्शा मौका बनता है। कई बार भ्रष्टाचारी रुपए खुद नहीं पकड़कर दराज या अन्य जगह रखवा लेता है, तब भी तकनीकी के आधार पर एसीबी के शिकंजे से नहीं बच पाता है।