राजस्थान सरकार ने देश का पहला ऑलिव लीफ टी प्लांट बस्सी में तैयार किया है। इस प्लांट में जो चाय तैयार होगी, उसके लिए विदेशी बाजारों की तलाश जारी है। अमरीका, जापान, दुबई, लंदन समेत अन्य कई देशों से इस बारे में बातचीत चल रही है।
साल 2008 में सरकार के समय इस प्लान को तैयार किया गया था। उस समय सैकड़ों ऑलिव के पौधों को राजस्थान मंगाया गया था। यहां लाकर जालोर, जयपुर और बीकानेर समेत अन्य कुछ जिलों में इनकी पैदावार शुरू कर दी गई थी। पैदावर शुरू होने के साथ अब यह पौधे, पेड़ का रुपए ले चुके हैं। अब इनकी पत्तियों को तोडऩे का काम शुरू हो गया है। प्रदेश भर से ये पत्तियां अब जयपुर के पास बस्सी में बने प्लांट में भेजी जा रही हैं।
बस्सी में सरकार की दखल से जिस कंपनी ने प्लांट शुरू किया है उनका कहना है कि इस प्लांट से किसानों को भी लाखों रुपयों का फायदा होना तय है। प्लांट संचालकों का कहना है कि किसान एक हैक्टेयर में 475 पेड़ लगाते हैं।पूरे साल सही देखभाल के बाद पत्तियों को सही तरह से तोड़ा जाता है तो हर साल एक हैक्टेयर पर दो से ढ़ाई लाख रुपए का मुनाफ निश्चित है। इस मुनाफे को थोड़े प्रयास से और बढ़ाया जा सकता है।
प्लांट संचालक कंपनी ऑलिटिया है। कंपनी संचालकों का कहना है कि ग्रीन टी तीन फ्लेवर में तैयार की जा रही है। इनमें पुदीना, अदरक और तुलसी शामिल है। संचालकों का कहना है कि इस पर लंबी रिसर्च भी गई है। रिसर्च में सामने आया है कि यह ग्रीन टी खासतौर पर महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी साबित है। एक कप ही महिलाओं में पूरे दिन की कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए काफी है। गौरतलब है कि ऑलिव का लंबे समय से मलेरिया और कैंसर की दवाएं बनाने में भी प्रयोग किया जाता रहा है।
प्लांट संचालकों का कहना है कि सरकार ने उनको पांच साल के लिए जमीन दी है। पांच साल में 75 प्रतिशत मुनाफा हमारा रहेगा, बाकि बचे मुनाफे में से एक बड़ा हिस्सा सरकार का भी रहेगा। प्लांट को बस्सी के बाद अन्य जगहों पर भी लगाया जा सकता है। प्लांट में फिलहाल तो ग्रीन टी तैयार की जा रही है। उसके बाद ऑलिव के कैप्सूल भी तैयार होंगे। ये एक तरह से मल्टी विटामिन के रूप में काम करेंगे।