जयपुर

वैज्ञानिकों की अनूठी ‘कलाकारी’… टिड्डी के एंटीना से विकसित किया Sniffing Robot

तकनीक : इजराइल के शोधकर्ताओं ने बनाया बायो-हाइब्रिड रोबोट। बीमारियों का जल्द पता लगाने और सुरक्षा जांच को ज्यादा मुस्तैद बनाने में हो सकता है सहायक।

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Feb 08, 2023

तेल अवीव. इजराइल (Israel) के शोधकर्ताओं ने सूंघने वाला रोबोट (Sniffing Robot) बनाया है। इस रोबोट में बायोलॉजिकल सेंसर (Biological sensor) लगे हैं। दरअसल, तेल अवीव विश्वविद्यालय (Tel Aviv University) के शोधकर्ताओं ने सेंसर के तौर पर टिड्डियों (Locusts) के एंटीना (Antennae) का इस्तेमाल किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह बीमारियों का जल्द पता लगाने और सुरक्षा जांच को ज्यादा मुस्तैद बनाने में सहायक हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है, टिड्डियों में सूंघने की गजब की क्षमता होती है। वे अपने एंटीना के सहारे सूंघती हैं। शोधकर्ताओं ने टिड्डियों की इसी क्षमता का इस्तेमाल बायो-हाइब्रिड रोबोट (Bio-hybrid robot) बनाने में किया है। उनका कहना है कि टिड्डी के एंटीना की मदद से ये रोबोट मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक स्निफर्स (Electronic sniffers) के मुकाबले कहीं ज्यादा कारगर हो सकते हैं।

दो इलेक्ट्रोड के बीच लगाया एंटीना...
शोधकर्ताओं ने 4 पहियों वाले रोबोट पर इस कीट के एंटीना को दो इलेक्ट्रोड (Electrode) के बीच लगाया, जो कि नजदीकी गंध सूंघकर इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है। प्रत्येक गंध का अपना एक खास सिग्नेचर होता है। मशीन लर्निंग की मदद से रोबोट का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इनकी पहचान कर सकता है। सागोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस की शोधकर्ता नेता शविल (Neta Shvil ) ने बताया, 'हम ऐसा रोबोट बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें सूंघने की क्षमता हो और जो अलग-अलग गंध के बीच फर्क कर सके। साथ ही, यह भी पता लगा सके कि गंध कहां और किस चीज से आ रही है।

भविष्य में बहुत संभावनाएं
वैज्ञानिक यह समझने में जुटे हैं कि कुछ जानवर गंध से बीमारी का कैसे पता लगाते हैं। सहयोगी डेवलपर फ्लेशमैन फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग और सागोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस में रिसर्चर बेन मोएज (Ben Moaz) का कहना है, इस जानकारी से भविष्य में बहुत संभावनाएं हैं। मसलन, इसकी मदद से ड्रग्स और विस्फोटकों की ज्यादा सटीक पहचान हो सकती है। साथ ही खाने की चीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है।

लंबे समय से प्रयोग
टिड्डी अपने संवेदनशील एंटीना का इस्तेमाल कर आस-पास की हवा के रासायनिक बदलाव का पता लगाती हैं। इससे उन्हें करीबी आबोहवा की रासायनिक गंध के बारे में बहुत तेज और सटीक जानकारी मिलती है। सूंघने की ऐसी क्षमता कई और कीट-पतंगों में भी पाई जाती है। वैज्ञानिक लंबे समय से जानवरों के जैविक सूंघने वाले सेंसरों पर प्रयोग कर रहे हैं। इसकी मदद से एक बायो-हाइब्रिड सेंसर विकसित करने में कामयाबी मिली है, जो जीवों के जैविक सेंसरों और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जो का खास मिश्रण है।

Published on:
08 Feb 2023 01:07 am
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