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देवेंद्र सिंह राठौड़
जयपुर.कोरोना संक्रमण भले ही दम तोड़ चुका है, लेकिन सवाई मानसिंह अस्पताल में उसका बहाना बनाकर बंद की गई भर्ती मरीजों को बेड पर दवा पहुंचाने की व्यवस्था अभी तक दोबारा शुरू नहीं हो पाई है। जिसके कारण अस्पताल में मरीज व उनके परिजन दवाओं के लिए भटकने को मजबूर है। अव्यवस्था के कारण वार्डों के बाहर लपकागिरी हावी हो रही है। अस्पताल प्रशासन इससे अनजान बना हुआ है।
सितंबर 2018 में तत्कालीन अधीक्षक ने मरीज को बेड पर ही दवा पहुंचाने की ड्रग्स डिलीवरी ऑन द बेड योजना लागू की थी। नई व्यवस्था के तहत डॉक्टर की पर्ची को वार्ड में तैनात नर्सिंग कर्मी एकत्र करके वार्ड बॉय के माध्यम से दवा वितरण केंद्र तक पहुंचाता था। जहां से फार्मासिस्ट उन दवाओं को मरीजों के बेड तक पहुंचाता था। अब मरीज के परिजन को दवाओं के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। कई मरीज ऐसे भी होते हैं, जो लावारिस मिलते या फिर जो दुर्घटना या अचानक बीमार होने के कारण अकेले ही अस्पताल में इलाज के लिए लाए जाते हैं। ऐसे मरीजों को भर्ती करने के बाद दवाओं के लिए परेशानी होना पड़ रहा है। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में ज्यादातर वार्डों के बाहर दवा वितरण काउंटर खोले जा चुके हैं। नए और खोले जा रह हैं।
अभी तक बंद व्यवस्था
अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि अस्पताल को जब कोविड अस्पताल घोषित किया गया था। उसके बाद यह व्यवस्था बंद कर दी गई। जो अभी पूरी तरह से बंद पड़ी है।
वसूल रहे मनमाफिक दाम
अस्पताल प्रशासन की अनदेखी का फायदा लपके उठा रहे हैं। वे वार्डों, आईसीयू, ओटी के बाहर घूमते देखे जाते हैं। दवा वितरण केंद्र पर जो दवा नहीं मिलती है, उसकी पर्ची मरीज व उसके परिजन के हाथ से लपक लेते हैं और उसे निजी मेडिकल स्टोर से लाकर वार्ड में पहुंचा देते हैं। इससे मरीजों की जेब भी कट रही है।
Published on:
07 Nov 2023 02:12 pm
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