स्थानीय लोगों को भी कर रहे प्रेरित इस प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीणों को भी प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें भी ग्रीनहाउस का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। साथ ही सालभर ताजी फल-सब्जियां भी मिल जाती हैं।
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यहां भी प्रयोग डीआरडीओ के अधिकारियों का कहना है कि सीमा क्षेत्रों पर ग्रीनहाउस तैयार किए जाने का प्रयोग लद्दाख, तिब्बत, हिमाचल में भी किए जा रहे हैं। वहां पर भी सफलता मिली है।
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ये उगा रहे फल-सब्जियां – मूली, गोभी, टमाटर, ब्रोकली, ककड़ी आदि सब्जियां। यह होता है ग्रीन हाउस ग्रीनहाउस एक तरह से पौधों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल होता है। कांच या प्लास्टिक के फ्रेम वाले ग्रीनहाउस का इस्तेमाल फलों, सब्जियों, फूलों और किसी भी अन्य पौधों के उत्पादन के लिए किया जाता है। इससे बहुत अधिक गर्मी और सर्दी से पौधे सुरक्षित रहते हैं। धूल, बर्फ, बारिश और कीटों का असर नहीं होता। प्रकाश और तापमान नियंत्रण की वजह से ग्रीनहाउस कृषि के अयोग्य भूमि को कृषि योग्य भूमि में बदल देता है।