अहिंसा
इसका अर्थ मारने से ही नहीं शब्दों से दुख नहीं पहुंचना है। प्रेम, वात्सल्य से रहेंगे तो राग द्वेष का जन्म नहीं होगा। हर प्राणी से मैत्री भाव रहेगा, शरीर स्वस्थ रहेगा। क्रोध से शुगर-बीपी, राग-द्वेष से वात-पित्त वाली बीमारी से बचेंगे।
सत्य
सामाजिक व्यवस्थाओं का संचालन सत्य पर टिका है। सत्य से भय दूर होता है। भय मानसिक, शारीरिक रोग और आर्थिक संकट का जन्मदाता है। भय में पूरी क्षमता से मस्तिष्क काम नहीं करता।
अचौर्य
जो अपना नहीं उसे बिना पूछे लेना चोरी है, इसका त्याग करना अचौर्य। इसके पालन से मन-बुद्धि निर्मल रहती है। विकल्प मस्तिष्क रोग को जन्म देता है, इनसे बचने को अचौर्य जरूरी है।
अपरिग्रह
आवश्यकता से ज्यादा नहीं रखना अपरिग्रह है। लोभ और लालच की भावना चली जाती है। तनाव कम होता, दूसरे को देखकर होड़ खत्म हो जाती है। यह माइग्रेन, जोड़ों के दर्द और उच्च रक्तचाप से बचाता है।
ब्रह्मचर्य
आत्मा में लीन होना ब्रह्मचर्य है, बाहर की दुनिया अशांत करती है। समस्याओं से घबराते हैं। जीवन में उथल-पुथल से मन वासना की ओर दौड़ता है। शरीर रोग का घर हो जाता है। ब्रह्मचर्य बचा सकता है।