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मंच पर उतर आया दर्द, कहीं पीड़ित वर्ग तो कहीं बौनों की दिखी व्यथा

- कविताओं और गीतों से सजी महफिल ए जयरंगम- जयरंगमः जयपुर थिएटर फेस्टिवल का दूसरा दिन- नाटकों की प्रस्तुति बटोरी तालियां- पीयूष मिश्रा की महफिल रही खास आकर्षण

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 pain came on the stage, somewhere the suffering class and somewhere the dwarfs' agony was seen

pain came on the stage, somewhere the suffering class and somewhere the dwarfs' agony was seen

जयपुर. कला एवं संस्कृति विभाग, जवाहर कला केंद्र और थ्री एम डाॅट बैंड्स थिएटर फैमिली सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में 11वें जयरंगमः जयपुर थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन मंच नाटकों से रोशन रहा। सोमवार, 19 दिसंबर को मंच पर जहां दो नाटकों की प्रस्तुति दी गई तो वहीं महफिल-ए-जयरंगम में अभिनेता पीयूष मिश्रा, गीतकार राजशेखर और पुनीत शर्मा के किस्सों व तरानों की महफिल भी जमीं। नाटकों में समाज के कुरूप चेहरे का सच उजागर किया गया। नाटक हम भारत के लोग में समाज के पीड़ित वर्ग की पीड़ा को सामने लाया गया तो वहीं दूसरे नाटक किनो काओ में बौनों के दर्द को उजागर किया गया।

‘हम भारत के लोग’ में दिखा समाज के अलग रूप

जयरंगमः के दूसरे दिन की शुरुआत नाटक ‘हम भारत के लोग’ से हुई। नाटक का निर्देशन अभिषेक गोस्वामी ने किया। नाटक की शुरुआत में समाज के पीड़ित वर्ग के संघर्ष के साथ हुई और अंत में संविधान की प्रस्तावना को याद किया गया। नाटक के एक भाग लकीर में बताया गया कि कैसे एक दूल्हे को जात पात के नाम पर घोड़ी से उतारा जाता है, समाज मूकदर्शक बना रह जाता है। दहलीज में बताया गया कि कैसे एक लड़की अपनी इच्छा के मुताबिक एक एनजीओ में कार्य करती है, लेकिन उसे अपने कार्य को पूरा करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक अन्य कहानी दहलीज में एक व्यक्ति को अपनी पहचान साबित करने के लिए प्रयास करना पड़ता है। उसे ना केवल समस्या होती है बल्कि बदसलूकी भी की जाती है।

कद कम होने से सपनों छोटे नहीं होते

भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी में खूबी किसी में कमी...पर इंसान को कोई हक नहीं कि वह उस कमी का मजाक उड़ा सके। कुछ इसी तरह का संदेश दिया गया नाटक ‘किनो काओ’ में। नाटक का निर्देशन पबित्र राभा ने किया। नाटक में बताया गया कि कद कम होने से इंसान के जज्बात और उसकी महत्वकांशाएं कम नहीं हो जाती है। जिन्हें समाज बौना या ऐसे ही कई अन्य नामों से संबोधित करता है वे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करने, अच्छा जीवन जीने के सपने देखते हैं। नाटक में दर्शाया गया कि कम कद वाले लोगों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनका संघर्ष किस तरह का होता है। इन्हें आमतौर पर सर्कस के जोकर के रूप में ही देखा जाता है, जबकी इनकी सपनों की उड़ान भी बहुत ऊंची होती है। निर्देशक पबित्र राभा ने कहा कि नाटक में हास्य भी देखने को मिला तो गंभीर भाव भी दिखे।

कविताओं और गीतों से सजी महफिल ए जयरंगम

मध्यवर्ती में देर सर्द शाम में सजी महफिल ए जयरंगम में जब अभिनेता पीयूष मिश्रा, गीतकार राजशेखर और पुनीत मिश्रा ने माइक संभाला तो पारा चढ़ गया। हु इज पुनीत सेशन में पुनीत शर्मा ने अपनी कविताएं पढ़ी। ‘अजब स्वप्न घनश्याम देख, जब चिर निद्रा से जागे, मुरली माखन छोड़ के मोहन छटपट भागे’ इन पंक्तियों के साथ रासलीला कविता में पुनीत ने श्री कृष्ण के सपने का जिक्र किया। अनाम कथा से श्रोताओं ने अपने को जुड़ा हुआ पाया जिसमें प्रेम पर रोशनी डाली गयी। फिल्म तनु वेड्स मनु के गाने लिखने वाले गीतकार राजशेखर लाइव रहे। उन्होंने जयपुर से जुड़ी अपनी यादें ताजा की। नमकीन हवा में प्रवासियों का दर्द जाहिर करने के साथ ही उन्होंने कुइया-मुइया गाने पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। अभिनेता पीयूष मिश्रा का नाम जैसे ही आया तो श्रोता रोमांचित हो उठे। उन्होंने ‘वो काम भला क्या काम हुआ’ कविता पढ़ी। अपना गाना ‘आरंभ है प्रचंड गाकर’ उन्होंने श्रोताओं में जोश भरा। चर्चा के दौरान उन्होंने श्रोताओं के मन की बात भी जानी।

तीसरे दिन ये देखने को मिलेंगे

जयरंगम के तहत तीसरे दिन यानी मंगलवार तीन नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें दोपहर 12 बजे कृष्णायन में एस.एम. अजहर आलम निर्देशित नाटक ‘एंड गेम’ दिखाया जाएगा। इसके बाद दोपहर 4 बजे रंगायन में साबिर खान निर्देशित नाटक ‘आधे अधूरे’ की प्रस्तुति होगी। शाम सात बजे मध्यवर्ती में अमितोश नागपाल निर्देशित नाटक ‘महानगर के जुगनू’ का मंचन किया जाएगा।