
सरकारी रैली, सियासती रंग
अमित वाजपेयी
लाल, पीला, नीला, सफेद। इनके अलावा भी रंगों के कई प्रकार होते हैं। काला भी रंग ही होता है, जो सरकार को इन दिनों कतई पसंद नहीं है। लेकिन देश के सियासी इतिहास में शनिवार को जयपुर के अमरूदों का बाग में एक नया रंग अस्तित्व में आता दिखा। सियासत का 'सरकारी' रंग।
सबने देखा, पखवाड़े भर से पूरा सरकारी तंत्र व्यस्त रहा। ग्रामसेवक से लेकर हर लोकसेवक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली की तैयारियों में व्यस्त रहे। लाभार्थियों की सूचियां बनाओ। बसें जुटाओ। लाभार्थियों को आने-जाने, खाने, ठहरने की व्यवस्था करो। जैसे सरकारी कार्यक्रम न हो, बेटी का ब्याह हो। और सचमुच... कार्यक्रम बेटी के ब्याह जैसा ही नजर आया। जनता को तो छोडि़ए। मंच पर मौजूद खुद राज्यपाल भी देखते रहे। प्रधानमंत्री ने चुनाव का आगाज कर दिया।
मोदी ज्यों-ज्यों बोलते गए, चुनावी सुगन्ध फैलती गई। चतुराई भरे नए 'सरकारी' रंग के साथ। उन्होंने एक बार भी राज्य सरकार को भाजपा से जोड़कर संबोधित नहीं किया। वसुंधरा राजे सरकार के नाम से सरकारी कामों और योजनाओं का गुणगान करते रहे। कुल 33 मिनट के भाषण में बार-बार यही विश्वास दिलाने का प्रयास करते रहे कि साढ़े चार साल में वसुंधरा राजे सरकार ने आमजन को लाभ पहुंचाया, राज्य का विकास किया है। यह भी साफ कर दिया कि भाजपा अगला विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के चेहरे के साथ ही लड़ेगी। मोदी बहुत अच्छी तरह समझते हैं, शहरी क्षेत्र में भाजपा की पकड़ ठीक है। सत्ता बनाए रखनी है तो गांव-गरीब पर फोकस करना होगा। इसीलिए फसलों के समर्थन मूल्य पर बात की।
जैसा कि ज्यादातर सभाओं में करते हैं, इस सभा में भी किसानों से सीधे दोतरफा संवाद का प्रयास किया। समर्थन मूल्य बढ़ाने की उपलब्धि तीन बार गिनाई। पांडाल में मौजूद लोगों से उसे दोहराने के लिए कहा। सिंचाई और पेयजल योजनाएं मंजूर करने का भरोसा दिलाया। वन रैंक, वन पेंशन योजना लागू करने का जिक्र भी किया।
सियासत का कोई बिन्दु नहीं छोडऩे की ठानकर आए मोदी ने शहीद पीरूसिंह शेखावत की शहादत की याद दिलाकर कांग्रेस पर निशाना साधा। सर्जिकल स्ट्राइक की प्रमाणिकता को लेकर कांग्रेस के उठाए सवालों को उन्होंने बड़ी सफाई से सेना पर अविश्वास एवं सम्मान से जोड़ दिया। भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक छाते के नीचे लाने का प्रयास भी किया। नए प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी से अपनी पुरानी नजदीकियों का जिक्र किया, ताकि सैनी को प्रदेश में पूरी तरह स्थापित किया जा सके। मंच पर पांच केन्द्रीय मंत्री मौजूद थे लेकिन मोदी ने सिर्फ कृषि मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का जिक्र किया। ताकि राजस्थान में शेखावत से नजदीकियों का भी संदेश जाए और राजपूत वर्ग की नाराजगी कम हो।
सरकारी मंच से उन्होंने पार्टी में बगावती तेवर दिखा रहे नेताओं को भी चेताया। संकेत दिया कि इस बार चुनाव में ध्रुवीकरण एवं बागी नेताओं को बख्शा नहीं जाएगा। बोले, राजस्थान में एक वर्ग ऐसा है जिसे मोदी और वसुंधरा राजे के नाम से ही बुखार चढ़ जाता है। भाषण के दौरान मोदी ने दो बार कांग्रेस पर निशाना साधा। पहले कांग्रेस शासन में विकास नहीं होने का जिक्र किया। मतदाताओं को सलाह दी कि बीते साढ़े चार साल में हुए विकास की कांग्रेस शासन के विकास से तुलना करें और इसे याद भी रखें। फिर कांग्रेस को बैल गाड़ी की जगह बेल गाड़ी अर्थात जमानत पर रिहा लोगों की पार्टी बताकर तंज कसा।
कुल मिलाकर देश में पहली बार घोषित तौर पर सरकारी मंच से चुनाव की बातें हुईं। मतदाताओं को रिझाया गया। पार्टी के कार्यकर्ताओं को नसीहतें दी गईं। बस देखना यह है कि जनता कौनसा नया रंग लाती है।
Published on:
08 Jul 2018 01:35 am
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