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जयपुर

Amavasya 2021 संतान प्राप्ति के लिए इस तरह पाएं पितरों का आशीर्वाद

पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष अमावस्या का बड़ा महत्व है। पौष माह सूर्यदेव की उपासना का समय कहा गया है। ऐसे में इस माह की अमावस्या का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस अमावस्या पर अनेक धार्मिक कार्य जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए उपवास रखा जाता है।

जयपुरJan 07, 2021 / 04:46 pm

deepak deewan

Paush Amavasya January 2021 Amavasya Kab Hai Amavasya Tithi 2021

Paush Amavasya January 2021 Amavasya Kab Hai Amavasya Tithi 2021

जयपुर. पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष अमावस्या का बड़ा महत्व है। पौष माह सूर्यदेव की उपासना का समय कहा गया है। ऐसे में इस माह की अमावस्या का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस अमावस्या पर अनेक धार्मिक कार्य जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए उपवास रखा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध करने का विधान है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि सनातन धर्मग्रन्थों में पौष मास खासकर अमावस्या व पूर्णिमा को बहुत पुण्य फलदायी बताया गया है। यह माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए श्रेष्ठ कहा गया है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखते हैं। इससे पितरों के साथ ही देवता भी प्रसन्न होते हैं। माना गया है कि पौष अमावस्या पर तर्पण से ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि आदि भी तृप्त होते हैं।
पौष अमावस्या पर यथासंभव किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय आदि में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र में शुद्ध जल में लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर जल अर्पित करना चाहिए। अब पितरों का तर्पण करना चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी करना चाहिए और तुलसी के पौधे के समक्ष दीप जलाकर उसकी परिक्रमा करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार निस्संतान दंपत्तियों की कामना पूर्ति के लिए पौष अमावस्या श्रेष्ठ अवसर है। ऐसे दंपत्ति इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और पितरों का तर्पण अवश्य करें। पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत रखकर पूजा-पाठ व तर्पण करने से कुंडली का संतानहीन योग समाप्त होता है।

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