बॉर्डर पर उलझाना
चीन हमें किसी न किसी बहाने उलझाए रखने की रणनीति अपना रहा है। डोकलाम तक हाईवे बनाने की खबर आती है और हम सजग होते हैं, तब तक वह हिंद महासागर में युद्धपोत तैनात कर देता है। उस पर ध्यान दें, तभी कैलास-मानसरोवर का मार्ग बंद कर देता है। यानी जल, थल, वायु हर मोर्चे पर करे चाहे कुछ नहीं कोई न कोई शगूफा छोड़ हमें उलझाए रखता है।
आपकी जेब में जो एक रुपए से दस रुपए तक का जो सुंदर पैन लगा है, आपकी जेब में जो मोबाइल रखा है, उसमें जो सिम लगी है, आपने जो चश्मा लगा रखा है, जो की-चेन आपके पास है, घर में जो इस्तरी है, जो एलईडी है, जो कंप्यूटर और लैपटॉप है, बच्चों के जो खिलौने हैं, यहां तक कि नौनिहाल की हगीज़ या दूध-पानी की शिपर या शहद भरी निप्पल है, स्कूल जाते बच्चे का लंच बॉक्स है, तकरीबन सभी वो वस्तुएं जो आप या आपका परिवार चौबीसों घंटे काम में लेता है, वह कहां की है कभी सोचा? नहीं न, यह निर्भरता है जो बढ़ती गई और हमारी दिनचर्या विदेशी या सीधा-सपाट कहें चीनी वस्तुओं पर निर्भर हो गई।
चौंकिए मत, अपना फेसबुक अकाउंट खोलिए, पीपल यू मे नो यानी लोग जिन्हें आप जान सकते हैं या मित्र बना सकते हैं, की सूची पर नजर डालिए, कुछ असामान्य नजर आया! हां, इस सूची में अचानक बढ़ी खूबसूरत अल्पवस्त्रीय चीनी युवतियों के प्रोफाइल फोटो-इंट्रो, जिन्हें देखते ही सीधे उसका प्रोफाइल खोलने को अंगुली मचल उठती है। यह रणनीति प्राचीन काल से चली आ रही है।
सोशल मीडिया पर या कहीं भी अश्लील फोटो या पॉर्न वीडियो हर यूजर को आकर्षित करता है, चाहे छिपकर, चाहे खुलकर। और जब यह सुविधा या कहें कुविधा फेसबुक जैसे सरल सुलभ अकाउंट पर उपलब्ध हो रही है तो संयम रखा मुश्किल ही है। हजारों की तादाद में सुंदर अल्पवस्त्रधारी चीनी और वियतनामी बालाओं के प्रोफाइल इन दिनों फेसबुल की ‘पीपल यू मे नो’ की सूची में देखी जा रही है। इन प्रोफाइल में महज एक अश्लील प्रोफाइल फोटो मिलेगा, यानी सिरे से इस अकाउंट को फेक माना जा सकता है, लेकिन अपरिपक्य दिमाग इनसे मित्रता करने का लोभ संवरण नहीं कर पाता। यह अपरिपक्व दिमाग किसी भी उम्र के व्यक्ति का हो सकता है, खासकर स्कूल-कॉलेज के युवा इस आकर्षण से नहीं बच पाते। इन फेक दिखती हजारों आईडी को खोलने पर पता चलता है कि इनकी मित्रता सूची में कई भारतीय जुडऩे लगे हैं। इनमें जहां राजस्थान और जयपुर के कई लोग शामिल हैं, वहीं देश के कोने-कोने के गांव-शहर सभी जगह के लोग जुड़े देखे जा सकते हैं।
पॉर्न वीडियो भी
इन आईडी के साथ एक ही पोस्ट होती है, जो पॉर्न वीडियो की होती है, ताकि युवा या अपरिपक्व दिमाग को लुभाया जा सके और उसे फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजने को तैयार किया जा सके। और तो और, सैकड़ों आईडी पर एक ही तरह और स्रोत के पॉर्न वीडियो हैं। गौरतलब बात यह है कि इनको रिक्वेस्ट भेजने वाले मूढ़ लोग ‘अबाउटÓ में जाकर आईडी में दिख रही युवती की जानकारी देखने की मशक्कत नहीं करते। इन आईडी के फेक होने का एक सीधा प्रमाण यह है कि युवती की अश्लील फोटो वाली आईडी की डिटेल देखें, तो कइयों के जेंडर में मेल लिखा मिलता है। लगता है, ये आईडी बनाने वाले भी पेड सर्वेंट ही हैं, जो किसी आईटी सेल में काम कर रहे हैं और फेक आईडी बनाने का टारगेट पूरा कर रहे हैं।
लक्ष्य
अब बात यह उठती है कि इन फेक आईडीओं को डालने का लक्ष्य क्या है। दरअसल, लोग जैसे ही इनके मित्र बनेंगे, शनै: शनै: ये इनको मानसिक और शारीरिक रूप से तो पंगु बनाएंगे ही, साथ ही कुछ ही अरसे में कई जानकारियां भी हासिल कर लेंगे और ऐसे लोगों का निजी डेटा भी चुरा लेंगे। यानी मार दोहरी-तिहरी है, इसे समझना होगा और अपने आपको बचाना होगा। इन आईडीज से कोई मित्र जुड़ता है, उसे मीठी-मीठी बातें कर ई-मेल से मैसेज करने को कहा जाता है, ऐसा क्यों, सहज ही समझा जा सकता है।