वहीं सबसे पहले पकड़े जाने वाला आरोपी लैब टेक्निशियन किशन सहाय कटारिया फरार चल रहा है। जेके लोन की कमेटी की ओर से इस मामले में इन्हे दोषी मानते हुए विभाग को रिपोर्ट दी गई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि अधीक्षक ने समय पर कभी ब्लड बैंक की मॉनिटरिंग तक नहीं की। ब्लड बैंक में क्या हो रहा है, इस पर अधीक्षक ने कभी ध्यान नहीं दिया।
जवाब देने से बचते रहे अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा… जब इस बारे में जेके लोन अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा से बात की गई तो वह सवालों के जवाब देने से बचते नजर आए। मीणा ने कहा कि वह अभी शादी में है। वह कुछ बता नहीं सकते है। इस संबंध में डॉ रामबाबू शर्मा से बात कर लीजिए। वह अभी मेरी जगह अधीक्षक का काम देख रहे है। कमेटी में शामिल भी रहे है। वह इस बारे में जानकारी भी दे सकते है।
बोले डॉ रामबाबू, कोई बड़ा मामला नहीं, अधीक्षक जिम्मेदार नहीं… जेके लोन अस्पताल के डॉ रामबाबू शर्मा से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकार के स्तर पर रिपोर्ट बनाकर भेज दी। जिसमें ब्लड बैंक इंजार्च डॉ सत्येंद्र चौधरी की लापरवाही को बताया गया है। जब डॉ शर्मा से पूछा गया कि ब्लड बैंक को लेकर अधीक्षक ने क्या अपनी जिम्मेदारी निभाई। क्या इस बात को भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इस पर डॉ रामबाबू ने कहा कि यह इतना बड़ा मामला नहीं है। इसमें अधीक्षक इतने जिम्मेदार नहीं है।
पुलिस भी बरत रही ढिलाई… प्लाज्मा चोरी का मामला एसएमएस पुलिस थाने में दर्ज है। पुलिस इस केस में फरार लैब टेक्निशियन किशन कटारिया को ही तलाश कर रही है। इसके अलावा पुलिस की ओर से इस मामले में अब तक दूसरे अधिकारी या कर्मचारियों से पूछताछ नहीं की गई है। जबकी सरकार ने इस मामले में अब ब्लड बैंक इंजार्च डॉ सत्येंद्र को भी दोषी माना है। पुलिस के सामने अब तक यह तक सामने नहीं आ सका है कि यह प्लाज्मा चोरी होकर जयपुर के किन अस्पतालों में बेचा जाता था। ऐसे में पुलिस की ढिलाई भी इस केस में सामने आ रही है।
हाई लेवल कमेटी कर रही जांच… इस मामले में एक कमेटी एसीएस मेडिकल की ओर से भी बनाई गई है। जो इस मामले की जांच कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब इस कमेटी की रिपोर्ट में जेके लोन अधीक्षक की लापरवाही भी सामने आए। इसके अलावा कई अन्य नाम भी इस जांच में शामिल हो सकते है। इसके बाद कार्रवाई हो सकती है।