
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) में 126 कार्मिकों को लगाने की प्रक्रिया विवादों में आ गई है। निगम ने तीन महीने पहले जून में 3.45 करोड़ का टेंडर निकाला। लेकिन महज दोे कंपनियां आने पर पारदर्शिता के लिए टेंडर को नियम विरुद्ध बताकर निरस्त कर दिया। अफसरों के तबादले के बाद निगम इस टेंडर को वापस जारी करने में जुट गया है। इस बार भी दो ही कंपनी टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुई हैं। नियम विरुद्ध होने के बाद भी निगम निरस्त करने की बजाय टेंडर जारी में जुटा है। अफसरों ने इस बार गली निकाली है।
सवाल इसीलिए उठ रहे
नियम शर्तें बनाने वाली फर्म को ही वापस इस प्रक्रिया में क्यों शामिल किया ?
जून में जिन अधिकारियों ने नियम विरुद्ध बताकर टेंडर निरस्त किया तो उन नियमों का अवहेलना क्यों?
अगर टेंडर प्रक्रिया सही है तो पहले निविदा निरस्त क्यों की ?
टेंडर का प्रचार-प्रसार के लिए समय क्यों कम रखा गया ?
नियम ही ऐसे क्यों बनाए, जिससे दो ही कंपनी योग्य हो ?
जिसने नियम शर्तें बनाईं उसी को शामिल किया: दोनों टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुई दो में से एक कंपनी वह है, जिसने इस टेंडर की नियम-शर्तें बनाईं। पारदर्शिता लाने के लिए टेंडर तैयार करने में भागीदार रही कंपनी या उससे जुड़ी कोई भी फर्म को प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता। चहेतों को फायदा देने के लिए नियमों को भी दरकिनार किया जा रहा है। निगम की ओर से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट में कार्मिकों को लगाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
Published on:
31 Aug 2023 01:10 pm
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