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Dravyavati river project: द्रव्यवती नदी परियोजना का जनता को मिलेगा लाभ

द्रव्यवती नदी परियोजना ( Dravyavati river project ) पूरी हो चुकी है और जनता को परियोजना का लाभ जल्द मिलेगा। परियोजना के तहत मजार बांध (विद्याधर नगर) से रामचंद्रपुरा बांध (खुशर) तक करीब 28 किमी की कंक्रीट नहर बनाई गई है।

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Dravyavati river project: द्रव्यवती नदी परियोजना का जनता को मिलेगा लाभ

Dravyavati river project: द्रव्यवती नदी परियोजना का जनता को मिलेगा लाभ

द्रव्यवती नदी परियोजना पूरी हो चुकी है और जनता को परियोजना का लाभ जल्द मिलेगा। परियोजना के तहत मजार बांध (विद्याधर नगर) से रामचंद्रपुरा बांध (खुशर) तक करीब 28 किमी की कंक्रीट नहर बनाई गई है। नहर के दोनों ओर 28 किमी की लंबाई में वॉकवे और साइकिल ट्रैक बनाए गए हैं। नदी इलाके में किसी भी तरह के अतिक्रमण को रोकने के लिए चैनल के दोनों ओर 38 किमी की लंबाई में बाउंड्री वॉल बनाई गई है। पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए नहर के हर तरफ 28 किमी की लंबाई में स्टील रेलिंग दी गई है। नहर के दोनों किनारों पर 3.5 लाख वर्ग मीटर के इलाके में हरित पट्टी विकसित की गई है। 1.03 लाख वर्ग मीटर के इलाके में तीन प्रमुख पार्क विकसित किए गए हैं, जोकि बर्ड पार्क (सीकर रोड), लैंडस्केप पार्क (शिप्रा रोड) और बॉटनिकल गार्डन (बम्बाला) में है।

नदी के दोनों किनारों पर 12,000 पेड़ लगाए गए हैं और बॉटनिकल गार्डन में 45,000 पौधे लगाए गए हैं। शिप्रा रोड, मानसरोवर पर परियोजना अनुभव केंद्र (पीईसी) बनाया गया है, जिसमें मॉडल, फोटोग्राफ और वीडियो के माध्यम से परियोजना के सभी संबंधित विवरण प्रदान किए जाते हैं। नहर के किनारे पीने के पानी की सुविधा है और 45 शौचालय ब्लॉक बनाए गए हैं। 89 स्थानों पर बैठने की व्यवस्था की गई है, ताकि लोग वहां आराम से बैठ सकें और नदी के किनारे का आनंद ले सकें। परियोजना में पानी के भंडारण के लिए 102 चेक डैम बनाए गए हैं ताकि रिवर फ्रंट बनाया जा सके और भूजल रिचार्ज हो सके। इसके अलावा 65 गहरे कुएं भी बनाए गए हैं। नालियों से आने वाले गंदे पानी पर प्रक्रिया के लिए परियोजना में कुल 170 एमएलडी की क्षमता वाले पांच एसटीपी बनाए गए हैं, ताकि इस उपचारित पानी को वापस नदी में प्रवाहित किया जा सकें। नदी के दोनों किनारों पर 82 किमी लंबी ट्रंक सीवर लाइनें बिछाई गई हैं, ताकि आसपास की कॉलोनियों की नालियों से आने वाले गंदे पानी को रोककर एसटीपी में प्रक्रिया के लिए ले जाया जा सकें।