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राजस्थान विधानसभा में ये ‘रणनीति’ अपनाकर बच रही सरकार, जानें सत्तापक्ष का कौन बन रहा ‘तारणहार’

एक सुनियोजित प्लान और स्ट्रेटेजी पर काम करते हुए सत्तापक्ष अपने मंत्रियों को चौतरफा घिरने से बचाने में कामयाब हो रहा है।

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rajasthan vidhansabha

जयपुर।

राजस्थान विधानसभा में सरकार कई मुद्दों पर घिरती नज़र आ रही है। लेकिन एक सुनियोजित प्लान और स्ट्रेटेजी पर काम करते हुए सत्तापक्ष अपने मंत्रियों को चौतरफा घिरने से बचाने में कामयाब हो रहा है। ऐसे में ये माना जा सकता है कि सत्तापक्ष पर हल्ला बोल की स्ट्रेटेजी से उतरी कांग्रेस की कोशिशें ज़्यादा असर नहीं कर पा रहीं हैं। दरअसल, ऐसे नज़ारे बजट सत्र के दौरान कई बार देखे गए हैं।



फसल खरीद-किसान क़र्ज़ माफ़ी का प्रश्न स्थगित- हंगामा
विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन की शुरुआत भी हंगामे के साथ हुई। प्रश्नकाल में पहला सवाल निर्दलीय विधायक नंदकिशोर महरिया का किसानों की फसलों की खरीद और किसानों के कर्ज माफी से जुड़ा हुआ था। इसे स्थगित कर देने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने वैल में आकर हंगामा किया।

प्रश्न स्थगित होने से नाराज निर्दलीय विधायक महरिया ने प्रश्नों की सूची फाड़ दी। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि यदि प्रश्न का जवाब नहीं आया तो उसे सूची में क्यों शामिल किया गया। इस पर आसन पर मौजूद विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि व्यवस्थाओं के चलते प्रश्न स्थगित किया गया है। यदि छप गया है तो कोई खास बात नहीं है। बाद में इस मामले में नाराज कांग्रेस के विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया।


बुधवार को भी ऐसे बची थी 'सरकार'
विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में शह-मात का खेल चलता रहता है। सदन में फ्लोर मैनेजमेंट के जरिए मंत्रियों को बचाने की जिम्मेदारी संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौड़ संभाल रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इस रणनीति के तहत ही बुधवार को प्रश्नकाल में राठौड़ ने चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ को विपक्ष के हाथों घिरने से बचा लिया। कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने तो सदन में खुले तौर पर यह बात कह दी कि नर्सिंग कालेजों में मान्यता के मामले में कई गडबडियां हुई हैं और इसीलिए राठौड इस प्रश्ल को टालना चाह रहे हैं।

यूं थे सवाल
विधानसभा में बुधवार को प्रश्नकाल में महज तीन सवाल ही लग पाए थे। प्रश्नकाल में कुल तारांकित प्रश्नों की संख्या 28 थी। इस दौरान प्रश्नकाल में बुधवार को पहला प्रश्न जयपुर शहर में विद्युत लाइनों को भूमिगत करने की योजना पर था। इसके बाद भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा का दूसरा सवाल प्रदेश में पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ रिश्वत के दर्ज प्रकरणों को लेकर था। वहीं जोगाराम का तीसरा सवाल प्रदेश की ग्राम पंचायतों की रैकिंग मानदंडों को लेकर था। इसके बाद कांग्रेस सचेतक गोविंद सिंह डोटासरा का चौथा सवाल नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के लंबित आवेदनों को लेकर था, जिसमें चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के घिरने की पूरी संभावना थी।

राठौड़ ने दिया धीरे-धीरे जवाब
ऐसे में पंचायतीराज मंत्री राठौड़ ने तीसरे प्रश्न का धीरे-धीरे जवाब दिया। इतना ही नहीं उन्होंने प्रश्न को एक बार फिर पढऩे के लिए भी कहा। इतने में ही प्रश्नकाल समाप्त हो गया। कांग्रेस के सचेतक गोविंद सिंह डोटासरा ने आरोप लगाया कि सदन में उनका प्रश्न आने से रोकने के लिए जान-बूझकर मामले को लंबा खींचा गया है।