उपचुनाव क्षेत्रों में वरिष्ठ नेताओं का ‘कैम्प’
उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए भाजपा का मतदान पूर्व जान फूंकने का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूदा समय में उपचुनाव क्षेत्रों में डेरा डाले हुए हैं। ‘कैम्प’ कर रहे नेताओं में प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा सांसद, विधायक, प्रदेश संगठन के वरिष्ठ नेता-पदाधिकारी शामिल हैं।
रालोपा भी जुटी संख्या बल बढाने में
तीन विधायकों के साथ विधानसभा में उपस्थिति को रालोपा बढाने के मकसद से उपचुनाव में जान फूंक रही है। सांसद हनुमान बेनीवाल खुद उपचुनाव क्षेत्रों के तूफानी दौरे पर हैं। वे भी दावा कर रहे हैं कि मौजूदा हालात में उपचुनाव क्षेत्र की जनता कांग्रेस और भाजपा से उक्ता गई है और रालोपा को एक बेहतर विकल्प के तौर पर चुनने जा रही है।
आरोप-प्रत्यारोप और जीत के दावे परवान पर
प्रचार अभियान के बीच बयानबाजियों का सिलसिला भी परवान पर है। सभी राजनीतिक दल के नेता एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार करने में ज़रा भी ढिलाई नहीं बारात रहे। चाहे जनसभाएं हों या मीडिया को दी जाने वाली प्रतिक्रियाएं। मतदान तारीख नज़दीक आने के सतह ही आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला परवान पर है। वहीं सभी राजनीतिक दल तीनों ही सीटों पर कब्ज़ा जमाने का दावा करते भी नहीं थक रहे हैं।
मंत्रियों की साख दांव पर
उपचुनाव में भले ही कांग्रेस ने 30 स्टार प्रचारकों को प्रचार के लिए चुनाव मैदान में उतारा हो लेकिन गहलोत सरकार के आधा दर्जन मंत्री ऐसे हैं जिन्हें उपचुनाव का चुनावी टास्क दिया गया था। सत्ता और संगठन के साथ-साथ इन मंत्रियों की साख उपचुनाव में दांव पर लगी हुई है। उपचुनाव में मिली जीत और हार मंत्रियों के राजनीति भविष्य को भी तय करेगी।
सूत्रों की माने तो अगर तीनों सीटों पर उपचुनाव में पार्टी को जीत मिलती है तो ये मंत्री मजबूत और ताकतवर बनकर उभरेंगे। वहीं अगर पार्टी की ओर से दिए गए टास्क पूरा करने में मंत्री असफल होते हैं तो फिर इनके चुनाव प्रबंधन पर भी सवाल खड़े होंगे। हालांकि ये मंत्री अपने चुनावी टास्क में कितना खरा उतरते हैं, ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही साफ होगा, लेकिन चुनावी टास्क वाले मंत्रियों को लेकर कांग्रेस के सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हैं।
इन मंत्रियों को मिला है चुनावी टास्क
दरअसल सत्ता और संगठन ने उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाने का टास्क तीनों सीटों पर जिन मंत्रियों को दिया है उनमें चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, खेल मंत्री अशोक चांदना, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया है। उपचुनाव में भंवर सिंह भाटी और गोविंद सिंह डोटासरा को सुजानगढ़, रघु शर्मा और अशोक चांदना को सहाड़ा, उदयलाल आंजना और प्रमोद जैन भाया को राजसमंद की जिम्मेदारी दी गई है।
चुनाव प्रबंधन का जिम्मा भी मंत्रियों के पास
पार्टी ने भी चुनावी टास्क देते हुए उपचुनाव में चुनाव प्रबंधन का पूरा जिम्मा इन्हीं मंत्रियों को दिया हुआ है। कहां किस नेता के दौरे होने हैं और चुनाव प्रचार के दौरान किन मुद्दों को उठाना है उसकी तमाम रणनीति इन्हीं मंत्रियों के द्वारा बनाई जा रही है।