यहां अलग-अलग तर्क क्यों?
पार्टी मानती रही है और ट्रेंड भी रहा है कि जब-जब वोट प्रतिशत बढ़ा है, तब-तब भाजपा सरकार बनी है। लेकिन जिन सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक चुनाव मैदान में हैं और वहां वोट प्रतिशत घटा है, वहां भाजपा के शीर्ष नेताओं अलग-अलग तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि वोटर वहां निकला है, जहां कांग्रेस के मंत्री- विधायकों के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी है। हालांकि, कुछ नेता इसके उलट बात कर रहे हैं।
इन सीटों पर फोकस….
1. सिवाना- यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ आरएलपी ने भी ताल ठोक रखी है। पिछली बार जीत का अंतर महज 957 वोट का रहा। इसलिए भाजपा ने यहां ज्यादा से ज्यादा वोटिंग के लिए प्रयास किए। उलटे, मतदान प्रतिशत 1. 12 प्रतिशत कम हो गया। वर्ष 2018 के चुनाव में यहां 65.82 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि इस बार 64.27 प्रतिशत ही रह गई।
2. चूरू- नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ इस सीट से विधायक बने लेकिन इस बार उन्होंने तारानगर से चुनाव लड़ा। इस सीट पर दूसरे चेहरे को उतारा गया लेकिन करीब 1 प्रतिशत वोट घट गया। यहां राजपूत को एक करने के लिए खुद राठौड़ सक्रिय हुए हालांकि भाजपा हिंदुत्व फैक्टर को आधार मानते हुए जीत का दावा कर रही है। पिछले चुनाव में केवल 1850 वोट अन्तर से जीत मिली थी।
3. मारवाड़ जंक्शन- यहां 61.29 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि 65 प्रतिशत से ज्यादा मतदान की अपेक्षा थी। हालांकि, पिछले साल से कुछ वोट प्रतिशत बढ़ा है। पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ने भाजपा से यह सीट छीनी थी। यहां जीत का मार्जिन केवल 251 वोट का रहा था।
4. दौसा – तमाम प्रयासों के बावजूद करीब 6 प्रतिशत मतदान घटने से चिंता बढ़ी है। जबकि यहां जिम्मेदारी पार्टी के शीर्ष नेताओं को दी गई थी। पिछली बार 79.18 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो इस बार 73.20 प्रतिशत रहा गया।
5. पीलीबंगा- भाजपा यहां लगातार जीती आ रही है। इस बार 82.54 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि पिछले चुनाव के यह आंकड़ा 84.66 प्रतिशत था। करीब 2 प्रतिशत वोट घटा है। यहां जीत का अंतर केवल 278 वोट थे।
6. बूंदी- इस सीट पर 0.82 प्रतिशत वोट ज्यादा पड़े हैं, लेकिन अपेक्षा के अनरूप मतदाताओं को मतदान स्थल तक नहीं ला पाए। यहां अभी 76.57 प्रतिशत वोटिंग हुई। पिछले चुनाव में महज 713 वोट से भजपा ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार बागी के रूप में एक अन्य उम्मीदवार भी है।
7. फतेहपुर- पिछले चुनाव में केवल 0.51 प्रतिशत का जीत मार्जिन रहा। इस बार वोट प्रतिशत 3.14 गिर गया। कांग्रेस से इस सीट को छीनने के प्रयास कर रही भाजपा चिंतित है। अभी 70.75 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि पिछली बार यह आंकड़ा 74.16 प्रतिशत था।
8. चौमूं- भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती रही है लेकिन इस बार कांग्रेस भी उत्साहित है क्योंकि यहां भी वोटिंग 83.21 प्रतिशत रही, जबकि पिछली बार यह 84.30 प्रतिशत थी। खासियत की सीट पर जीत का मार्जिन भी बहुत ज्यादा नहीं रहता, वर्ष 2018 के चुनाव में रामलाल शर्मा 1288 वोट से जीते थे। आरएलपी के प्रत्याशी के कारण जाट वोट बैंक बंटा है।
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9. बेगूं- पिछले चुनाव में कांग्रेस की झोली में यह सीट 0.78 प्रतिशत वोट अंतर से आई थी इस बार वोटिंग लगभग बराबर हुई है, केवल 0.40 प्रतिशत अन्तर रहा। भाजपा जीत के लिए आश्वस्त है लेकिन मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ने को लेकर समीक्षा की जा रही है। इस बार 83.51 प्रतिशत वोटिंग हुई।
10. मालवीय नगर- पार्टी के लिए एक श्रेणी में मानी जाने वाली सीट पर पिछली बार जीत का अंतर केवल 1704 वोट का रहा था इस बार पार्टी को उम्मीद थी कि यहां वोट प्रतिशत पड़ेगा। लेकिन उलटे करीब एक प्रतिशत की कमी आई। यहां भितरघात की भी स्थिति बनी हुई थी।