लोगों के बिगड़ा गए आंकलन भी गड़बड़ा
कुछ राजनीतिक विश्लेषक अपने फॉलोअर्स बढ़ाने को लेकर सीटों के नाम डालकर पूछ रहे हैं कि बताएं इन सीटों पर कौन हार-जीत रहा है। फिर इस पर हराने-जिताने वालों की बहस छिड़ रही है। प्रदेश की ऐसी कोई चर्चित सीट नहीं बची, जो लगातार जीती हो। लोगों ने कभी जिताया तो कभी हराया। इस हार जीत के चक्कर में लोगों के आंकलन भी गड़बड़ा गए हैं।
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सरकारी कार्यालयों में प्रतिदिन बन-बिगड़ रहे समीकरण
राज्य की सत्ता के केंद्र बिन्दु शासन सचिवालय से लेकर जिला स्तरीय से लेकर उपखण्ड कार्यालयों में अभी कामकाज से ज्यादा चुनावी समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं। आला अधिकारी भी मिलने के लिए आने वालों से सिर्फ एक ही सवाल कर रहे हैं, बताओ कौन आ रहा है। यदि जीतने वाली पार्टी का नाम बताया तो दूसरा सवाल, मुख्यमंत्री कौन बनेगा। यह बहस मंत्रिमंडल बनाने तक पहुंच रही है।
सट्टा बाजार की भी बिगड़ी चाल
हर चुनाव में सट्टा बाजार की गणित चर्चाओं में रहती है। छोटे से बड़े नेता तक सट्टा बाजार को लेकर चर्चा करते देखे जा सकते हैं। लेकिन इस बार सोशल मीडिया ने सट्टा बाजार की भी चाल बिगाड़ दी है। सट्टा बाजार में भाजपा, कांग्रेस के अलावा आरएलपी, बसपा, असपा और जीतने वाले निर्दलीयों की संख्या को लेकर द्वंद छिड़ा हुआ है। इसमें भी सीटों के आकलन को लेकर रोज नए-नए भाव खुल रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी सट्टा चल रहा है। इसके अलावा किस सीट पर कौन बाजी मारेगा। वैसे फलोदी का सट्टा बाजार देश में चर्चा में रहता है। अभी राजस्थान ही नहीं छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर भी सट्टा लगना बताया जा रहा है।
भाजपा, कांग्रेस तो कभी किसी को बहुमत नहीं
सोशल मीडिया पर हर दिन ट्रेंड बहुमत का बदला हुआ भी दिख रहा है। जिस पार्टी के जितने ज्यादा समर्थक, उधर ही पलड़ा भारी दिखने लगता है। भाजपा, तो कभी कांग्रेस को बहुमत को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ रही है, तो कहीं किसी को बहुमत मिलने की भी चर्चा हो रही है। यह चर्चा चाय की थड़ियों से लेकर गली-मोहल्लों में भी है।
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