अफसरों की लापरवाही आई सामने, बिजली चोरी पर लगाम के बजाए बढ़ा रहे आम जनता पर ही भार
हैरत की बात यह है कि विभाग इसकी जांच या अफसरों पर कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि अब अधिकारियों को प्रमाणपत्र जारी करने का प्रशिक्षण देगा। प्रशिक्षण का आदेश विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) रोहित कुमार सिंह की ओर से जारी किया गया है।
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एसीएस के आदेश में कहा गया है कि यह भर्ती ( Rajasthan Lab Assistant Recruitment )भाजपा सरकार के दौरान 29 मई 2018 को निकाली गई थी। 30 जून 2018 तक आनलाइन आवेदन मिले थे। जिसमें अनुभव लाभ देने का निर्णय किया गया था।
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उक्त अनुभव प्रमाण पत्र दिशा निर्देशों के अनुरूप निर्धारित प्रपत्र, अनुभव अवधि या विज्ञापित पदनाम से जारी नहीं करते हुए विभिन्न पदनामों से अलग प्रपत्रों में जारी कर दिए गए हैं। जिसमेें एकरूपता नहीं है और भर्ती प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई है।
अनुभव के आधार पर भर्ती ही क्यों, जबकि पहले भी अटकी हैं भर्तियां
2013 में कांग्रेस सरकार के समय प्रयोगशाला सहायक के 634 पदों पर भर्तियां निकाली गई थीं। 2014 में भाजपा सरकार के समय ये भर्तियां हुईं। इन भर्तियों में अनुभव संबंधी योग्यता रखी गई। जिसमें अनुभव अवधि बांटने के मामले में बड़े स्तर पर शिकायतें हुईं। जिसकी जांच अभी भी एसीबी में चल रही है।
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अनुभव अवधि का यह नियम विभाग की ओर से ही मई 2013 में निकाले गए आदेश के आधार पर रखा था। मामला कोर्ट में गया। बाद में विभाग ने बैकफुट पर आते हुए एक आदेश जारी कर अनुभव अवधि से संबंधित अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया। इसके बावजूद सरकार ने फिर से अनुभव आधार पर ही भर्ती करने का निर्णय कर लिया था।
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निजी एजेंसी से भर्तियों पर सवाल
चिकित्सा विभाग में पहले भर्तियां सामान्य तौर पर अधीनस्थ बोर्ड के स्तर पर या विभागीय स्तर पर ही होती थीं। अब निजी ऐजेंसी से तो भर्तियां करवाई ही जा रही हैं, साथ ही इनकी करीब-करीब पूरी प्रक्रिया ही विभाग के मुख्यालय से बाहर संचालित हो रही हैं। ऐसे में इस निर्णय पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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विभाग के इन अफसरों ने बांटे प्रमाणपत्र
– सभी प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज
– सभी अधीक्षक संलग्न अस्पताल समूह
– मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधीकारी
– समस्त प्रमुख चिकित्सा अधिकारी
– अन्य सक्षम स्तर के अधिकारी