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Rajasthan MLA Resignation: विधायकों के इस्तीफे प्रकरण पर आज फिर होगी हाईकोर्ट में सुनवाई

पिछली सुनवाई में मामले से जुड़े दस्तावेज पेश करने के दिए थे अदालत ने निर्देश

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Rajasthan MLA Resignation: विधायकों के इस्तीफे प्रकरण पर आज फिर होगी हाईकोर्ट में सुनवाई

Rajasthan MLA Resignation: विधायकों के इस्तीफे प्रकरण पर आज फिर होगी हाईकोर्ट में सुनवाई

जयपुर। राजस्थान में विधायकों के इस्तीफे प्रकरण पर आज फिर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान राजस्थान विधानसभा की ओर से इस्तीफे प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज हाईकोर्ट में पेश करने होंगे। वहीं, दूसरी ओर भाजपा इस मामले में सरकार को सदन से लेकर कोर्ट में घेरने की तैयारी कर चुकी है। यह मामला चीफ जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

दरअसल, 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने पैरवी करते हुए न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र पेश किया। जिसमें विधानसभा सचिव की ओर से न्यायालय में 16 जनवरी को प्रस्तुत हलफनामे में दी गई जानकारी अस्पष्ट होने की बात कही। साथ ही उन्होंने इस्तीफा प्रकरण के सभी तथ्य न्यायालय में रिकॉर्ड पर लाने की मांग भी की। इस पर अदालत ने आज का दिन सुनवाई के लिए मुकर्रर कर विधायकों के इस्तीफे प्रकरण के सभी दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए। साथ ही शपथ पत्र भी फिर से पेश करने के लिए राजस्थान विधानसभा सचिव को कहा गया था।

राठौड़ बोले थे, 'पहले 91 विधायक बताए और फिर 81'

राठौड़ ने न्यायालय में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में कहा कि पहले 91 विधायकों की ओर से इस्तीफ़ा देने की बात कही गई। लेकिन, अब 81 विधायकों का इस्तीफ़ा दिया जाना बताया गया है। ऐसे में विधानसभा सचिव की ओर से प्रस्तुत हलफनामा संदेहास्पद हो जाता है। राठौड़ ने कहा कि किन-किन विधायकों ने त्याग पत्र कब-कब दिए, इस्तीफों पर स्पीकर ने क्या-क्या टिप्पणी की और उसे कब-कब अंकित किया गया। साथ ही यदि 110 दिन पूर्व 91 माननीय विधायकों के दिए गए त्याग पत्रों के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के निर्देशन में कोई जांच की गई है तो उसका क्या परिणाम रहा। वहीं, इस्तीफ़ों को निरस्त करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने जो आदेश पारित किया, उसकी प्रति भी न्यायालय के रिकॉर्ड पर लाने की बात प्रार्थना पत्र में कही।

विधायकों को वेतन—भत्ते और सुविधाएं पाने का नहीं था अधिकार

प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि जितने समय तक इस्तीफ़े स्वीकार नहीं हुए, उस समयावधि में विधायकों को वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं था। इसलिए यह राशि इस्तीफा देने वाले विधायकों की रोक दी जानी चाहिए। बहस करते हुए राठौड़ ने कहा कि सचिव का हलफनामा जितने तथ्य बता रहा है, उससे ज्यादा छुपा रहा है। वहीं, एडवोकेट जनरल ने कहा कि नियमों में त्याग पत्र वापिस लेने का प्रावधान है। उन्होंने त्याग पत्र वापिस लिए हैं, तो उन्हें वापिस लिया हुआ मानकर खारिज किया गया है।