नाज़िमुद्दीन ने बताया कि मुस्लिम क़ोम की आवाज को बुलंद करने वाले क़ारी साहब पहले राजनीतिक रूप से इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग से भी जुड़े रहे, बाद में उन्होंने राजनीति छोड़ सामाजिक कार्यों में अपने आप को व्यस्त कर लिया था। वे मोती डूंगरी रोड पर मस्जिद क़ुरेशियान के इमाम व ख़तीब (प्रवचन कर्त्ता) भी थे। इसके साथ ही वे सेन्ट्रल सीरत कमेटी के भी संस्थापक अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में हज़रम मुहम्मद स. की जीवनी पर अनेक बड़े बड़े जल्से आयोजित किये गए। फोरम के संयोजक के रूप में वे अन्त तक अपनी सेवाएं देते रहे तथा उनके नेतृत्व में मुस्लिम समाज एवं आम जनता से जुड़े कई मुद्दों पर कई बड़े आन्दोलन और प्रदर्शन हुए। नाज़िमुद्दीन ने उनके देहांत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे समाज और प्रदेश के लिए अपूर्णीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि हमने अपने निर्विवाद नेता को खो दिया है।
क़ारी मुईनुद्दीन के जनाज़े पर विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के नेताओं एवं पदाधिकारियों ने पुष्पांजलि दी तथा भारी संख्या में जयपुर के सामान्य से ले कर विशिष्ठ नागरिक तक उनके जनाज़े में शामिल हुए। क़ारी साहब की नमाज़े जनाज़ा मोती डूंगरी रोड स्थित मस्जिद क़ुरेशियान में पढ़ाई गई तथा उनकी पार्थिव देह को फ़तेह टीबा, मोती डूंगरी रोड स्थित उनके पैतृक क़ब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया गया। उनकी शोक सभा कल शनिवार को मोती डूंगरी रोड स्थित मस्जिद क़ुरैशियान में होगी।