लेकिन देर रात तक बैठक में नहीं आए विधायकों की तरफ से आए तीन सदस्यों ने इसके लिए तीन शर्ते रखी कि इसके लिए भले ही प्रस्ताव पास किया जाए, पर इस पर फैसला आगामी 19 अक्टूबर के बाद किया जाए और यह सार्वजनिक रुप से कहना पड़ेगा। उनकी दूसरी शर्त यह थी कि पर्यवेक्षकों से बात करने के लिए विधायक वन टू वन नहीं आकर समूह में आएंगे और तीसरी शर्त यह रखी कि नया मुख्यमंत्री का चयन उन 102 लोगों में से किया जाए जो सियासी संकट में गहलोत के साथ थे। सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों में से नहीं होना चाहिए।
गहलोत ने खड़े किए हाथ, विधायक हुए बागी, ‘पायलट’ प्रोजेक्ट पर ग्रहण
उन्होंने कहा कि हमने उनसे कहा कि एक-एक विधायक की बात सुनी जाएगी और उनकी बात आलाकमान को बताई जाएगी और सबको सुना जाएगा, लेकिन वे अपनी शर्तों पर अड़े रहे । बाद में इन शर्तों पर विधायकों से बात करने के लिए मना कर दिया गया, क्योंकि 75 वर्ष के कांग्रेस के इतिहास में शर्तों के आधार पर आज तक कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ जबकि एक लाइन में प्रस्ताव होता हैं और कांग्रेस अध्यक्ष उस पर फैसला लेता है। उन्होंने कहा कि अब वे वापस दिल्ली जा रहे हैं और इस संबंध में रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेंगे और आलाकमान सबकी बात सुनकर फैसला लेंगे। एक सवाल के जवाब में माकन ने कहा कि राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के घर जुटे कितने कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे दिए, इसका कोई आइडिया नहीं है। इस्तीफा दिया या नही, कौन-कौन विधायक थे यह मालूम नहीं, यह कांग्रेस विधायक थे। उन्होंने कहा कि सबके साथ बैठकर आगे का रास्ता निकालेंगे।
पायलट के विरोध में 92 विधायकों का इस्तीफा, विधायकों की बगावत से नाराज
कांग्रेस विधायक बैठक बुलाने के बाद इसमें नहीं आकर धारीवाल के घर बैठक करने के मामले में माकन ने कहा कि यह अनुशासनहीनता तो है। उन्होंने कहा कि यह प्राथमिक दृष्टि से अनुशासनहीनता हैं और ऑफिसियल मीटिंग के बावजूद अनऑफिसियल बैठक बुलाना अनुशासनहीता हैं। अब देखेते है कि आगे क्या कार्रवाई होती है। उन्होंने कहा कि सबसे मिलकर काम करना चाहिए और इस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी महंगाई, बेरोजगारी आदि को लेकर भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे है ऐसे में उनके हाथ मजबूत करने काम किया जाएगा।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सीएम अशोक गहलोत के नामांकन भरने की घोषणा के बाद सचिन पायलट बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे। उन्हें उम्मीद थी ज्यादातर विधायकों का सर्मथन उन्हें मिलेगा और वे मुख्यमंत्री पद हासिल करने की अपनी इच्छा पूरी कर सकेंगे। लेकिन हुआ एकदम उलट। अब मामले पर सचिन पलट ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि अभी वे दिल्ली नहीं जा रहे हैं, वे जयपुर में ही हैं। आलाकमान के फैसले के बाद ही, वो कोई निर्णय लेंगे। अब सब की निगाह सचिन पायलट के अगले कदम पर है।