Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Politics: ‘नाकाम हो चुके नेताओं का हौसला बुलंद’, CWC की बैठक से पहले लोकेश शर्मा ने दी ये सलाह

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने कांग्रेस संगठन में सुधार को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है।

4 min read
Google source verification

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने कांग्रेस संगठन में सुधार को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। शर्मा ने यह पोस्ट 29 नवंबर को होने जा रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले किया है। जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी को 'वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा' के मुद्दे पर सलाह देते हुए विचार रखे है। उन्होंने इस पोस्ट में अपने आपको कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता बताते हुए प्रदेश कांग्रेस संगठन में सुधार की बात कही है।

ओएसडी रहे लोकेश शर्मा (Lokesh Sharma) ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 'मल्लिकार्जुन खड़गे जी, राहुल गांधी जी नमस्कार..कल 29 नवम्बर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आहुत की गई है जिसका मुख्य एजेंडा देश के 'वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा' है। मेरा आप दोनों से आग्रह है इस खुले पत्र को भी चर्चा में शामिल किया जाए…'

'सकारात्मक रूप में लिया जाए'

'लोकसभा चुनाव में तीन बार कांग्रेस पार्टी के सत्ता से बाहर होने एवं कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय के बाद, 25 वर्ष से कांग्रेस पार्टी का सक्रीय कार्यकर्ता होने के नाते अपनी भावना इस खुले पत्र के माध्यम से आपके साथ साझा कर रहा हूं। आशा करता हूं इसे सकारात्मक रूप में लिया जाएगा।'

'5 साल के चुनावी परिणामों के आंकड़े जब दर्शाए जाते हैं और बताया जाता है कांग्रेस पार्टी की कितनी जगह और कितनी बार हार हुई है तो मन बेहद व्यथित होता है और ऐसे में पार्टी का झंडा उठाने वाले ज़मीनी कार्यकर्ताओं, सच्चे नेताओं का भी हौसला कितना कमज़ोर होता होगा, उन पर क्या गुजरती है वे ही जानते हैं…'

'क्यों चुनाव से पहले कांग्रेस की एक मज़बूत रणनीति का अभाव होता है और ऐसा क्यों है कि किसी भी हार के बाद पार्टी में किसी की कोई जवाबदेही नहीं बनती, क्या हमारी पार्टी जीतने के लिए चुनाव नहीं लड़ती या हार का उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता?'

'हार से किसी के कान पर जूं भी नहीं रेंगी'

'यदि प्रत्येक हार के बाद ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय की गयी होती तो सम्बंधित नेताओं को कोई चिंता होती या उनमें डर होता, उन्हें लगता कि हमें जवाब देना पड़ेगा, सामना करना पड़ेगा, हम किस मुंह से हमारी लीडरशिप के सामने बैठ पाएंगे.. लेकिन हमारे यहां हार के प्रति इतनी सहजता है जो ज़िम्मेदारों के बयानों में साफ़ झलकती है… ऐसा लगता भी नहीं कि हार से किसी के कान पर जूं भी रेंगी होगी, उनके माथे पर कोई शिकन तक नहीं होती.. 'हार-जीत होती रहती है' का राग बेहद सामान्य है! बयानों में आपके हाथ मज़बूत करने की बात की जाती है लेकिन हार पर कोई फ़िक्र नज़र नहीं आती।'

यह भी पढ़ें : क्या फोन टैपिंग मामले में अशोक गहलोत से होगी पूछताछ? OSD रहे लोकेश शर्मा ने गिरफ्तारी के बाद दिए ये संकेत

'नाकाम हो चुके नेताओं का हौसला बुलंद'

'अधिकांश क्षेत्रीय क्षत्रप अपने इलाकों में सिर्फ़ खुद को बनाए रखने में लगे हैं, जिसमें वे सफ़ल भी हैं लेकिन पार्टी की सफ़लता में उनका योगदान नगण्य रहता है, वे पार्टी का भला करते नज़र नहीं आते, उन्हें किसी बात की फ़िक्र भी नहीं क्योंकि हार के बाद किसी समीक्षा से पहले ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारियों से नवाज़ दिया जाता है, जिससे नाकाम हो चुके नेताओं का हौसला बुलंद होता है.. यही ढर्रा चल रहा है और कांग्रेस पार्टी देश की सत्ता के साथ ही राज्यों की सत्ता से बाहर होती जा रही है।'

'किसी भी बेहतर परिणाम के लिए समस्या को, कमियों-ख़ामियों को पहचानना और स्वीकार करना पहली ज़रूरत होती है लेकिन यह पार्टी में कभी नहीं होता। और यदि किसी ने कमियां बता दीं तो स्थानीय नेताओं सहित अतिउत्साही गुटबाज कार्यकर्ता, लाभान्वित समर्थक नेता उल्टे सुधार की बात करने वाले को ही कोसते हुए बुरा-भला कहने लगते हैं और बीजेपी का एजेंट तक बता देते हैं।'

'बिना सुधार किये न परफॉर्मेंस नहीं होगी बेहतर'

'आप खुद ही बताएं कमियों पर विस्तृत चर्चा हुए बिना वांछित सुधार कैसे होंगे, हुए भारी नुकसान की जवाबदेही तय किये बिना क्या आगे की सही रणनीति बन सकेगी?? बिना सुधार किये न परफॉर्मेंस बेहतर होगी न ही अच्छे परिणाम मिल सकेंगे। हो भी बिल्कुल ऐसा ही रहा है..'

'समय के साथ बदलाव, नयेपन, पुराने ढर्रों से मुक्ति, साठगांठ कर पार्टी के हितों को पीछे धकेलने वाले नेताओं पर सख्ती, आलाकमान तक सही तथ्य न पहुंचने देने वालों पर कार्रवाई, जोड़तोड़ से अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों पर नकेल कसने, अच्छे-कर्मठ कार्यकर्ताओं-युवाओं को तवज्जो, उन्हें आगे बढ़ाने की सोच, जहां ज़रुरत है वहां कमान परिवर्तन, आमूलचूल बदलाव हों तब जाकर कई साल में मुकाबले की स्थिति आएगी। और हां, सही कदम उठाए जाएं, निर्णय लिए जाएं तो आएगी ज़रूर।'

'कड़ाई से जवाबदेही और ज़िम्मेदारी तय हो'

'पिछले लगभग 25 साल से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रूप से काम कर रहा हूं, चुनाव दर चुनाव मात होती देख दुःख होता है, हालांकि कई दफह नतीजे पहले ही दिखाई दे रहे होते हैं और हर हार के बाद उम्मीद होती है उसके कारणों की ईमानदारी से समीक्षा होगी, कड़ाई से जवाबदेही और ज़िम्मेदारी तय हो, कठोर फ़ैसले लिए जाएं, उन नेताओं से निजात पाएं जिनके स्वार्थ की कीमत पार्टी चुका रही है और हर वो बड़ा कदम उठाया जाए जिससे पार्टी फ़िर मज़बूत होकर आगे आए…'

'कमियां-खामियां बताने वाला आईना दिखाता है… बेबाकी से बात रखने के लिए यदि सही प्लेटफॉर्म तय किया जाए तो बात वहीं कही जाएगी जहां उसे सुना जाएगा, आलाकमान के चारों तरफ ऐसी किलेबंदी न हो कि पार्टी का भला सोचने वाला अपने नेता तक अपनी बात ही न पहुंचा सके.. वरना सच और दर्द ऐसे ही रह-रहकर बाहर आता रहेगा क्यूंकि कुछ लोग पार्टी में अभी भी ऐसे हैं जिन्हें हार आसानी से स्वीकार नहीं होती।'

'कर के दिखा सकता हूं'

'ये मैं दावे के साथ कह सकता हूं और कर के दिखा सकता हूं कि समय पर और सही निर्णय लेकर नए तरीकों से कांग्रेस को पुनर्जीवित कर उसकी गौरवशाली पहचान दिलाई जा सकती है। संगठनात्मक सुधार आवश्यक है, चापलूसों और चहेतों की जगह नई सोच, नए तरीकों वाले ऊर्जावान नौजवानों को ज़िम्मेदारियां मिलें। सिर्फ स्थापित नेताओं की ही सुनने के बजाय ज़मीनी हकीकत जानें और उसी के अनुरूप समयबद्ध तरीके से परिणाम देने वाली कार्ययोजना बने। किसी दल को दोष देने के बजाय जनता के मुद्दों और जनभावना के साथ खड़े रहकर बेहिचक आगे बढ़ें…हार वो सबक है जो बेहतर होने का मौका देती है, ऐसे सबक बहुत हो चुके हैं, अब सूरत बदलनी चाहिए। उम्मीद करता हूं अब कुछ परिवर्तन होगा।'


बड़ी खबरें

View All

जयपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग