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उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के लिहाज से पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित स्थान नहीं ( Pakistan Not Safe Place for Minorities ) है। अल्पसंख्यकों के साथ, विशेषकर हिन्दू लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्म-परिवर्तन कराने की प्रवृत्ति पुलवामा ( Pulwama ) एयर स्ट्राइक के बाद बढ़ गई है। पाकिस्तान के कई इलाकों के गुरुद्वारे में घुसकर सिखों को बाहर किया गया, जिसके लिए प्रदर्शन हुआ। ऐसी जानकारी सामने आई है कि थारपारकर में 37 भील परिवारों का धर्म-परिवर्तन करवाया गया। पाकिस्तान में हर साल 1,000 से ज्यादा हिन्दू युवतियों का धर्म-परिवर्तन कराया जाता है। अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में वहां की सरकार अल्पसंख्यकों के प्रति कतई गंभीर नहीं है। यह भी पढ़ें : आरजेएस भर्ती परीक्षा का परिणाम होगा संशोधित, कट ऑफ पार करने वालों को मुख्य परीक्षा में मौका 71 साल में 90 फीसदी हिन्दू पाकिस्तान ( Pakistan ) छोड़ चुके हैं। वर्ष 1947 में जहां पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या 31 प्रतिशत थी, वह इस समय 1.2 प्रतिशत है। मीणा ने कहा कि हिन्दुओं, सिखों, इसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रोकने के लिए भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाए। इस गम्भीर मामले पर 13 अन्य राज्यसभा सदस्यों ने मीणा का समर्थन किया।
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पत्रिका ने उठाया मामला
राजस्थान पत्रिका ने 9 जुलाई को इस मसले को उठाया और ‘पाकिस्तान में सडक़ों पर हिंदू, सिख और इसाई, 3 माह में 31 लड़कियां अगवा’ शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।