script22 जनवरी को अभिजित मुहूर्त में ही करें रामलला की पूजा, जानें जयपुर में मुहूर्त का सही समय | ram mandir consecration best time the best muhurt of 22 january for worship ramlala in jaipur | Patrika News
जयपुर

22 जनवरी को अभिजित मुहूर्त में ही करें रामलला की पूजा, जानें जयपुर में मुहूर्त का सही समय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार त्रेता युग में प्रभु श्रीराम का जन्म अभिजित मुहूर्त में हुआ था। 22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में अभिजित मुहूर्त का संयोग बना रहा है।

जयपुरJan 20, 2024 / 11:34 am

Santosh Trivedi

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Ayodhya Ram Mandir Ramlala

देश के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए 22 जनवरी का दिन महत्वपूर्ण होने जा रहा है। इस दिन अयोध्या में श्रीरामलला मूर्ति की प्राण- प्रतिष्ठा होगी। इसे लेकर चारों ओर हर्षोल्लास एवं खुशियां मनाई जाएगी। रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा का यह काफी शुभ मुर्हुत होगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि 22 जनवरी का दिन रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के समय सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न, ऐन्द्र योग और कौलव करण रहेंगे। जो प्राण-प्रतिष्ठा में चार चांद लगाएंगे। रामलला प्राण-प्रतिष्ठा अभिजित मुहूर्त में होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार त्रेता युग में प्रभु श्रीराम का जन्म अभिजित मुहूर्त में हुआ था। 22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में अभिजित मुहूर्त का संयोग बना रहा है। ऐसे में इस तिथि को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है।

जयपुर में अभिजित काल दोपहर 12:17 से 12:59 बजे तक है। यह इस दिन का सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। जिसमें खरीदारी, देव प्राण-प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, नया व्यापार शुरू करना, नीवं मुहूर्त व उपनयन संस्कार सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए सबसे अच्छा समय माना गया है। यह संपूर्ण राष्ट्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि मृगशिरा नक्षत्र कृषि कार्य, व्यापार, विदेश यात्रा के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। हमारा देश विशेष रूप से कृषि प्रधान देश है और अयोध्या में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा के साथ हमारे राष्ट्र का भी कल्याण होने जा रहा है।

यदि ग्रह गोचर की बात करें तो प्राण-प्रतिष्ठा के समय मेष लग्न रहेगा। वहीं गुरू मेष राशि में, चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, केतु कन्या, मंगल, बुध, शुक्र धनु राशि, सूर्य मकर, शनि कुंभ राशि तथा राहु मीन राशि में रहेंगे। इन ग्रह गोचर की स्थिति से फलादेश यह है कि लग्न में विराजमान गुरु की नवम भाव में बैठे मंगल ,शुक्र और बुध पर नवीं दृष्टि रहेगी। जिसके चलते यह केंद्र त्रिकोण राजयोग अपने आप में ही धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ योग कहा जाएगा। इस योग के कारण मंदिर की कीर्ति हमेशा बढ़ती रहेगी वहीं दूसरी ओर दशम भाव में सूर्य है। जो पंचम भाव का स्वामी भी है। इस स्थिति में मंदिर में धार्मिक कर्मकांड, वेद पाठ आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में वृद्धि का योग बनता है। भारत सरकार द्वारा भविष्य में भी इस मंदिर के प्रति विशेष समर्थन का योग दर्शाता है। दशम भाव व एकादश भाव का स्वामी शनि एकादश भाव में ही है जो आय की दृष्टि मंदिर का उच्च स्तरीय विकास को दर्शाता है।

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