
फाइल फोटो पत्रिका
RGHS New Update : राजस्थान के निजी अस्पताल राजस्थान सरकार की ओर से संचालित राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में कैशलेस इलाज नहीं कर सिर्फ पुर्नभरण मॉडल पर इलाज करेंगे। प्रदेश के निजी अस्पतालों के संगठनों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार यह बहिष्कार 15 जुलाई को प्रात: 8 बजे से लागू होगा। लाभार्थियों को उपचार के बाद आवश्यक दस्तावेजों के साथ सीधे सरकार से पुनर्भरण प्राप्त करना होगा। गौरतलब है कि इस योजना के दायरे में प्रदेश के करीब 11 लाख सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर और अन्य संवर्ग के कर्मचारियों के करीब 50 लोग दायरे में हैं। बयान में कहा गया है कि शुरूआत में योजना को सेंट्रल गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (सीजएचएस) नियमों के अनुरूप लागू करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन बाद में बार-बार नए-नए नियम बनाए गए, जिनकी सूचना अस्पतालों को नहीं दी गई।
नियमों में अस्पष्टता के कारण क्लेम जांच व भुगतान में अनावश्यक देरी हुई और त्रुटियों के लिए अस्पतालों पर अनावश्यक पेनल्टी लगाई गई। जबकि वास्तविक त्रुटि टीपीए और क्लेम यूनिट्स की थी, जो उनको नियमों की समय पर सूचना और प्रशिक्षण नहीं देने के कारण हुई। इसके कारण निजी अस्पतालों पर वितीय दबाव बढ़ा, भुगतान में देरी के कारण कई मध्यम एवं छोटे अस्पताल बंद होने की कगार पर आ गए हैं।
निजी अस्पताल संगठनों का कहना है कि अस्पताल प्रतिनिधियों की ओर से 9 मई से अब तक 9 ज्ञापन राजस्थान वित्त मंत्री, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा सचिव, वित्त सचिव बजट, वित्त सचिव व्यय, स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आरजीएचएस की परियोजना निदेशक को देने के बावजद भी अस्पतालों की जायज मांगों का कोई समाधान आज तक नही किया गया है।
1- शुरूआत में योजना योजना पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों तक सीमित थी, ओपीडी एवं परीक्षण पर भुगतान नहीं होता था
2- सरकारी अस्पतालों में पहले से नि:शुल्क इलाज, लेकिन उन्हें भी योजना में शामिल कर लिया गया
3- 4000 करोड़ के बजट में से 2000 करोड़ ओपीडी एवं मेडिसिन पर खर्च, शेष में से 1200 करोड़ सरकारी अस्पतालों को वापस जा रहे हैं, इस तरह निजी अस्पतालों पर व्यय केवल 800 करोड़ है। जो आरजीएचएस के 2021 से पूर्व के बजट के बराबर
4- नई श्रेणियों से लाभार्थियों की संख्या छह गुनी, जिससे ओपीडी-दवाइयों पर करीब 60 फीसदी खर्च बढ़ा
1- सरकारी अस्पतालों को योजना से अस्थायी रूप से बाहर रखा जाए, जिससे सरकार पर व्यय का असंतुलित बोझ कम होगा।
2- ओपीडी पुनर्भरण मॉडल को अनिवार्य किया जाए, इससे लाभार्थी को उपचार के लिए अग्रिम भुगतान करना होगा, जो अनावश्यक उपचार मांग को नियंत्रित करेगा।
3- भुगतान की समयबद्धता तय हो।
4- न्यूनतम दस्तावेज प्रोटोकॉल हो।
5- डॉक्टर के घर की पर्ची पर दवा वितरण प्रतिबंधित किया जाए।
6- योजना में नए प्रावधान लागू करने से पूर्व निजी अस्पताल प्रतिनिधियों के साथ परामर्श अनिवार्य किया जाए।
7- क्लेम निस्तारण विशेषज्ञ डॉक्टर करें।
चिकित्सा विभाग को एक महीने पहले ही यह योजना सौंपी गई है। विभाग योजना की समीक्षा कर रहा है। निजी अस्पतालों की ओर से योजना बंद करने की हमारे पास कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है। बुलाकर बात करेंगे।
गजेन्द्र सिंह खींवसर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
वर्तमान हालातों में ओपीडी सेवाओं और फार्मेसी में विशेष रूप से पुनर्भरण आधारित मॉडल ही एकमात्र स्थायी और पारदर्शी समाधान है। इससे सरकार की गड़बड़ी की सभी शंकाएं समाप्त हो जाएगी।
डॉ.विजय कपूर, प्रेसिडेंट, प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी जयपुर
Updated on:
11 Jul 2025 07:06 am
Published on:
11 Jul 2025 07:04 am
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