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RPSC Paper Leak : सदस्य कटारा ही निकला पेपर लीक मास्टरमाइंड, आज कोर्ट में होगी पेशी

RPSC Paper Leak : राजस्थान में सरकार की राज्य सेवा के लिए अधिकारी और कर्मचारियों को चुनने वाला राजस्थान लोक सेवा आयोग ही लीक का गढ़ निकला। राजस्थान एसओजी ने 74 साल में पहली बार आयोग के किसी सदस्य को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

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RPSC Paper Leak : राजस्थान में सरकार की राज्य सेवा के लिए अधिकारी और कर्मचारियों को चुनने वाला राजस्थान लोक सेवा आयोग ही लीक का गढ़ निकला। राजस्थान एसओजी ने 74 साल में पहली बार आयोग के किसी सदस्य को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा-2022 के सामान्य ज्ञान के पर्चा लीक मामले में कटारा का कई महीनों से नाम आ रहा था लेकिन अब कार्रवाई हुई है।

बाबू लाल कटारा को उसके अजमेर में स्थित सिविल लाइंस के बंगले से ही गिरफ्तार किया गया। आज सदस्य कटारा, वाहन चालक गोपाल सिंह और विजय को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इनका एसओजी कोर्ट से रिमांड मांगेगी। आयोग स्तर पर भी जांच का दायरा और बढ़ेगा। कटारा के घर और ऑफिस में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी गई है।

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कटारा का भांजा भी गिरफ्तार
राजस्थान की एसओजी ने डूंगरपुर से कटारा के भांजे विजय कटारा और आयोग के वाहन चालक गोपाल सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। एसओजी आज इन्हें कोर्ट में पेश करेगी। दरअसल इस मामले में शेर सिंह मीणा की 6 अप्रेल को ओडिशा से गिरफ्तारी के बाद से एसओजी कटारा पर कड़ी नजर रखे हुए थी।

10 दिन तक आमने-सामने पूछताछ

पेपर लीक मामले के आरोपी शेरसिंह मीणा और अजमेर की हाई सिक्यारिटी जेल में बंद भूपेंद्र सारण से पिछले दस दिन में आमने-सामने की पूछताछ की गई। इसके बाद एसओजी ने बाबूलाल कटारा और ड्राइवर गोपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद बाबूलाल कटारा के भांजे को भी डूंगरपुर से गिरफ्तार किया गया।

कटारा ने लगाया साख को बट्टा

बाबूलाल कटारा 14 अक्टूबर 2020 को आयोग में सदस्य बने थे। 29 महीने के कार्यकाल में वह आयोग की विभिन्न भर्ती परीक्षाओं, साक्षात्कार में शामिल हुए। साल 2013 के आरएएस पेपर आउट मामले में तत्कालीन अध्यक्ष के कार्यकाल में आयोग की छवि दागदार हुई थी। दस साल बाद अब सदस्य ने आयोग की परीक्षा-पेपर व्यवस्था पर कालिख पोत दी।

अध्यक्ष और सदस्य नहीं होते सीधे बर्खास्त

राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने के लिए विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव पारित होता है। इसे राज्यपाल और उसके बाद अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति तक भेजा जाता है। त्रि-स्तरीय स्वीकृति, जरूरी पड़ने पर हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट जज से जांच कराने के बाद इन्हें हटाया जाता है। हरियाणा लोक सेवा आयोग को साल 2003 में इसी तरह भंग किया गया था। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल आयोग में अध्यक्ष और सात सदस्य नियुक्त करते हैं।

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