जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट एक जुविनाइल आपराधिक मामले में एक किशोर आरोपी की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई कर रही थी। जुविनाइल अपराध से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपंकर दत्ता की पीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की वकील ने मामले में बहस के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। इसपर पीठ ने सरकारी वकील को जमकर फटकार लगा डाली।
शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि कई मामलों में राज्य के वकील पेश नहीं होते और सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं होता।कोर्ट ने इस ढिलाई को गंभीर माना और अगली सुनवाई में मुख्य सचिव को तलब करने के आदेश देने की चेतावनी दे डाली। सूत्रों के अनुसार सरकार वकील द्वारा माफ़ी मांगे जाने के बाद कोर्ट ने रजिस्ट्री को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में राजस्थान के एडवोकेट जनरल को बताने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने अपनी तल्ख़ टिप्पणी में ये भी कहा, कि ये कोई पहला उदाहरण नहीं है जहां राजस्थान राज्य न्यायालय को समय पर सहायता प्रदान करने में विफल रहा है। हमने ऐसा कई बार देखा है जब कोई भी राज्य के लिए उपस्थित नहीं हुआ। फिलहाल हम रजिस्ट्री को इसके बारे में महाधिवक्ता को सूचित करने के अलावा कुछ नहीं कहेंगे।”