आखिर इतनी देरी क्यों?
सियासी गलियारे हों या आम जन। एक ही चर्चा है कि आखिर राजस्थान में मंत्रिमण्डल गठन को लेकर इतनी देरी क्यों हो रही है। सभी इसके अलग-अलग कयास लगा रहे हैं। मंत्रिमण्डल के देरी को लेकर भाजपा, कांग्रेस के निशाने पर भी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक मंत्रिमण्डल गठन की देरी को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। इधर पूर्व मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी कह चुके हैं कि आखिर मंत्रिमण्डल कब बनेगा।
भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व प्रतिपक्ष नेता राजेन्द्र राठौड़ ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि मंत्रिमण्डल गठन की प्रसव पीड़ा अब समाप्ति की ओर की है।
पिछले बीस साल में सबसे ज्यादा लगा समय
पिछले बीस साल में मंत्रिमण्डल गठन की बात करें तो इस बार सर्वाधिक समय लगा है। अक्सर मंत्रिमण्डल का गठन मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद एक सप्ताह के अंदर होता आया है। जबकि इस बार 15 दिन निकलने के बाद भी असमंजस की स्थिति बनी रही।
3 दिसम्बर को आया था चुनाव परिणाम
राजस्थान में विधानसभा चुनाव परिणाम तीन दिसम्बर को आया था। इसके बाद भाजपा आलाकमान ने करीब 12 दिन बाद सीएम का नाम फाइनल किया था। 15 दिसम्बर को मुख्यमंत्री का नाम चौंकाने वाला आया था। अब सीएम बनने के बाद एक पखवाड़े बाद भी मंत्रिमण्डल गठन की कवायद शुरू नहीं हुई है।
पिछले 15 दिन में मुख्यमंत्री के प्रमुख 11 कार्य
सीएम के 12 दिन में प्रमुख 11 काम
1-पेपर लीक के लिए एसआईटी का गठन।
2-एंटी गैंगस्टर टीम का गठन।
3-गहलोत सरकार की सभी राजनीतिक नियुक्तियां रद्द।
4-पद भर ग्रहण करते ही पूरा सीएमओ एपीओ।
5-हर विभाग को 100दिन की कार्ययोजना बनाने के निर्देश।
6-चिंरजीवी में इलाज को लेकर दिया स्पष्टीकरण,आयुष्मान योजना में करेंगे इलाज।
7-वित्त विभाग का आदेश प्रदेश में सभी नए निर्माण कार्यों पर लगाई रोक।
8-सीएम एसएमएस अस्पताल पहुंचे,दिखाई सख्ती, तीन नर्सिंगकर्मी निलम्बित।
9-पुलिस विभाग की ली बैठक, अपराधियों पर सख्ती बरतने के निर्देश।
10-राजीव गांधी युवा मित्र इन्टर्नशिप कार्यक्रम बंद तो इधर 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती रद्द।
11-एक जनवरी से उज्जवला लाभार्थियों को 450 रुपए में मिलेगा गैस का सिलेंडर