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राजस्थान सरकार ने अभी तक हरित हाइड्रोजन नीति को लागू नहीं किया है जो छह महीने से अधिक समय से मसौदा स्तर पर है। ऐसे में 4 लाख करोड़ रुपए के निवेश का भाग्य अधर में लटक गया है क्योंकि राज्य राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरआरईसीएल) के साथ पांच कंपनियों ने पहले ही 2610 किलो-टन ग्रीन हाइड्रोजन की परियोजनाएं स्थापित करने के लिए पंजीकरण करा लिया है, जिससे लगभग 4 लाख-करोड़ का संचयी निवेश प्राप्त होगा।
फरवरी 2022 में केंद्रीय नीति का पालन करते हुए राज्य सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन नीति तैयार करने के लिए मार्च से उद्योग जगत से विचार-विमर्श शुरू किया था। मसौदे को सितंबर में अंतिम रूप दिया गया था लेकिन तब से मामला अटका हुआ है। इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों को डर है कि अगर नीति को एक महीने में मंजूरी नहीं मिली तो राज्य में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार के लिए आगे बढ़ना मुश्किल होगा। आमतौर पर अगर कोई नई पार्टी सत्ता संभालती है, तो वह आचार संहिता से छह महीने पहले पिछली सरकार के किए गए फैसलों को उलट भी सकती है।
सौर उद्योग अतीत में उपकरण निर्माण क्षेत्र में ऐसी परेशानी झेल चुका है। सौर संयंत्रों की सबसे बड़ी स्थापित क्षमता होने के बावजूद, उपकरण निर्माण शुरू नहीं हो पाया। अभी हाल ही में रिन्यू पावर ने 4000 मेगावाट क्षमता वाले सोलर पैनल बनाने के लिए दो संयंत्रों पर काम करना शुरू किया है। अब उद्योग को लगता है कि फोकस ग्रीन हाइड्रोजन पर होना चाहिए। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक राजस्थान औद्योगिक नीति-2022 को ध्यान में रखते हुए मसौदे में बदलाव की जरूरत है।
नवीकरणीय ऊर्जा शक्ति ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में परिचालन लागत का 70% है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग रिफाइनरी, उर्वरक, सीमेंट, स्टील और अन्य जैसे कठिन से कठिन क्षेत्रों में किया जाता है।
Published on:
10 Mar 2023 05:28 pm
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