
5 Famous Tiger Reserves In Rajasthan : अपने किलों, महल और संस्कृति के लिए मशहूर राजस्थान शुरू से ही दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक खास पहचान रखता है। यही वजह है कि हर साल यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक यहां की विरासत, परंपरा, झीलों, किलों आदि को देखने के लिए आते हैं। कोरोना महामारी के बाद राजस्थान की टूरिज्म इंडस्ट्री को एक बार फिर से पंख लग गए हैं। देसी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी उछाल आया है।
पर्यटकों के बीच प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल विशेष स्थान रखते हैं, लेकिन इनके अलावा कुछ और वजह भी हैं जिसके चलते पर्यटक यहां खींचें चले आ रहे हैं। इस वजह से भी पर्यटन को बूम मिला है। जिन वजहों की हम बात कर रहे हैं, वे हैं यहां स्थित विभिन्न टाइगर रिजर्व जिन्हें देखने के लिए पर्यटक ऑफ सीजन में भी राजस्थान आने के लिए तैयार हैं। इन टाइगर रिजर्व के चलते प्रदेश वन्यजीव प्रेमियों के लिए हॉट डेस्टिनेशन बन गया है।
राजस्थान के ये बाघ अभ्यारण्य अपने आप में एक अलग ही रोमांच पैदा करते हैं। वर्तमान में ये अभ्यारण्य 100 से अधिक बाघों के घर हैं। इन्हें देखने के लिए मशहूर हस्तियों के साथ-साथ राजनेता भी इनका दीदार करने के लिए आते हैं। इन्हें देखने के लिए लोग इनका घंटों तक इंतजार करते हैं। राजस्थान में बाघ अभयारण्यों की सूची में हाल ही में धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को भी शामिल किया गया है। आप रामगढ़ विसधारी टाइगर रिजर्व और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में जंगली सूअर, भारतीय तेंदुए और सुस्त भालू जैसे जीवों से भरपूर अरावली पहाड़ियों की प्राकृतिक भव्यता की झलक देख सकते हैं।
अलवर के पास अरावली पर्वतमाला में बसा यह एक आकर्षक अभ्यारण्य है, जहां आप बाघों का दीदार कर सकते हैं। शुरू में यहां राजघराने के सदस्य शिकार करने के लिए आते थे, लेकिन वर्तमान समय में यह बाघों के लिए एक संरक्षित अभ्यारण्य है। सरिस्का को वर्ष 1955 में वनस्पति और वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में 1978 में इसे टाइगर रिजर्व बना दिया गया। यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक है। लगभग 866 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य अब विभिन्न वनस्पतियों और जीवों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व में रॉयल बंगाल टाइगर के कई नजारे देखने को मिलते हैं। इस जगह पर जाने से यहां की प्राकृतिक दुनिया के इतिहास को जानने का मौका मिलता है, क्योंकि यह इलाका कभी अलवर रियासत के शिकारगाह के रूप में जाना जाता था। यहां रॉयल बंगाल टाइगर के अलावा आप जंगली बिल्लियां, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, जंगली सूअर, चीतल जैसे जंगली जानवरों को भी देख सकते हैं। इस क्षेत्र का लगभग 80 फीसदी हिस्सा ढोक, तेंदू, खैर, सुरवाल, बेर और गोरिया के पेड़ों से घिरा हुआ है। इसके अंदर रहने वाले वन्यजीवों में तेंदुए और चिंकारा से लेकर नीलगाय और जंगली सूअर के अलावा 225 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं। यहां आने का सबसे सही समय अक्टूबर से जून माना जाता है।
जब आप राजस्थान में टाइगर रिजर्व घूमने का प्लान बनाएं तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व जरूर देखने आए। यह प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य होने के साथ- साथ सबसे ज्यादा देखे जाने वाले अभ्यारण्यों में से एक है। दुनिया में सबसे ज्यादा फोटो खींचे जाने वाली बाघिन मछली भी यहीं पाई जाती थी। वर्ष 2016 में उसका निधन हो गया था। उसे भारत की सबसे प्रसिद्ध बाघिन माना जाता था। मगरमच्छ का शिकार करने के कारण वह सुर्खियों में आई थी।
इस अभ्यारण्य को 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। 1980 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। लगभग 1,334 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है और तत्कालीन शाही शिकारगाह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। राजस्थान के इस बाघ अभयारण्य में एक और महत्वपूर्ण आकर्षण राजसी रणथंभौर किला है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। इस अभ्यारण्य को देखने का प्लान बना रहे हैं तो यहां आप अक्टूबर से अप्रेल के बीच आ सकते हैं। इस समय मौसम सुहाना होता है और जानवर ज्यादा सक्रिय होते है।
कोटा के पास स्थित यह टाइगर रिजर्व करीब 760 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 3 वन्यजीव अभ्यारण्य शामिल हैं - दर्रा वन्यजीव अभ्यारण्य, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य और जवाहर सागर वन्यजीव अभ्यारण्य। बाघ अभयारण्य के कुछ हिस्सों को कोटा रियासत के महाराजा के शिकारगाह के रूप में माना जाता है। यहां आप बंगाल टाइगर के अलावा इंडियन वुल्फ और भारतीय तेंदुए को देख सकते हैं। यह अभ्यारण मलकांगिनी जैसी वनस्पतियों का भी घर है जो औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन अभ्यारण्यों को घूमने का सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च तक है।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व राजस्थान के शीर्ष टाइगर रिजर्व में से एक है। यह रणथंभौर टाइगर रिजर्व के इंद्रगढ़ सेक्टर और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। बाघों की सुगम आवाजाही के लिए इसे आमतौर पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य में पनप रहे बाघों का प्रसूति गृह माना जाता है। यह रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व 52वां टाइगर रिजर्व है और यहां आपको बाघों के अलावा जंगली सूअर, लकड़बग्घा, चिंकारा, मृग और सुस्त भालू भी देखने को मिल सकते हैं। इस अभ्यारण से होकर गुजरने वाली चंबल नदी की एक सहायक नदी मेज का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च माना जाता है। इन महीनों में मौसम बहुत अच्छा रहता है।
धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व भारत का 54वां टाइगर रिजर्व है और यह राजस्थान के करौली और धौलपुर जिलों में स्थित है। यह मुकुंदरा से रामगढ़ तक 1253 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें करीब आठ से दस बाघ हैं। यहां देखे जाने वाले अन्य वन्यजीवों में तेंदुआ, सुस्त हिरण, सांभर हिरण, चीतल और जंगली सूअर शामिल हैं। इन जंगली जानवरों के अलावा आप मोर, भारतीय ग्रे हॉर्नबिल और भारतीय रोलर जैसे पक्षियों का भी दीदार कर सकते हैं। यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक है। यात्रा का सबसे बेहतर समय दिसंबर से मार्च के बीच माना जाता है।
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Published on:
26 Jun 2024 07:41 pm
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