वसुंधरा दो बार सीएम रह चुकी हैं। तीसरी बार भाजपा के बहुमत में आने के बाद वसुंधरा राजे को सीएम नहीं चुना गया। केंद्र की तरफ से राजनाथ सिंह के हाथ पर्ची भेजकर वसुंधरा राजे से नये सीएम का ऐलान करवाया गया, जिसके बाद से राजे ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली। यहां तक की पीएम नरेंद्र मोदी के राजस्थान आगमन के दौरान भी राजे कई कार्यक्रमों में दिखाई नहीं दी।
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सियासी जानकारों का कहना है कि राजे ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि राजस्थान में बगावत हो सकती है। लेकिन वसुंधरा राजे के करीबियों का कहना है वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों से दूर ही रहेंगीं, क्योंकि पार्टी ने जिस तरह से उनकी अनदेखी की है वह उनके राजनीतिक कद के हिसाब से ठीक नहीं है। वसुंधरा राजे में ही सभी समाज को एक साथ लेकर चलने की क्षमता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे सही मौके के इंतजार में है। राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। किसी ने नहीं सोचा कि पहली बार ही विधायक बनने वाले भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बन जाएंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की चुप्पी तक ही राज रहेगा। जिस दिन राजे की चुप्पी टूटी राजस्थान की राजनीति में खेला हो सकता है।