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रामसेतु कलश में मिला राजस्थान और एमपी का पानी, …हो गया बरसों पुराना झगड़ा खत्म

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीकेसी-ईआरसीपी के पहले फेज का किया शिलान्यास, दादिया गांव में हुआ भव्य समारोह, राजस्थान और एमपी के मुख्यमंत्री रहे मौजूद

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ERCP

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्य सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में जयपुर के दादिया गांव से पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी परियोजना के पहले फेज का शिलान्यास किया। इस दौरान राजस्थान-मध्य प्रदेश की परियोजना के समझौते (एमओए) को भी सार्वजनिक किया गया। इस परियोजना के सम्पूर्ण चरण पूरे होने पर राजस्थान के 21 और मध्यप्रदेश के 13 जिले लाभान्वित होंगे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पार्वती, कालीसिंध एवं चंबल नदी के प्रतिरूपी कलश के जल को एक बड़े कलश में प्रवाहित किया। इसे 'रामसेतु जल संकल्प कलश' नाम दिया गया। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने चम्बल, एमपी के सीएम मोहन यादव ने कालीसिंध और सीएम भजनलाल शर्मा ने पार्वती नदी के जल कलश पीएम को सौंपे।

समझाया पानी का महत्व

पीएम ने अपने 50 मिनट के भाषण में पानी के महत्व को समझाते हुए कहा कि 'पानी मेरे लिए पारस है। जैसे पारस लोहे को स्पर्श करे और लोहा सोना हो जाता है, वैसा पानी जहां भी स्पर्श करे वो एक नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म दे देता है।' मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ये 20 साल पुराना झगड़ा था। दोनों प्रदेशों में जल की सौगात पीएम मोदी की वजह से ही पूरी हो पाई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि इस परियोजना से राजस्थान के 21 जिलों काे फायदा होगा।

100 साल पहले कहा था पीने का पानी बिकेगा

पीएम ने कहा कि गुजरात में एक जैन महात्मा हुआ करते थे। 100 साल पहले उन्होंने लिखा था कि एक दिन ऐसा आएगा, जब किराने की दुकान में पीने का पानी बिकेगा। यह सच हो गया। आज हम किराने की दुकान से पानी की बोतल खरीदकर पानी पीने के लिए मजबूर हो गए हैं।

यह तस्वीर आने वाले दशकों तक राजनेताओं से सवाल पूछेगी…

मोदी ने कहा कि यह जो तस्वीर जो देख रहे हैं (केन्द्र के जल शक्ति मंत्री और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री एमओए करने के दौरान),यह सामान्य नहीं है। आने वाले दशकों तक हिन्दुस्तान के हर कोने में यह तस्वीर राजनेताओं से सवाल पूछेगी। हर राज्य को पूछा जाएगा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान मिलकर पानी की समस्या को खत्म और समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं तो तुम ऐसी कौनसी राजनीति करते हो कि पानी समंदर में बह रहा और कागज में हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे हो।