
- विश्व जल दिवस आज
जयपुर। राजस्थान के बाड़मेर स्थित सीमावर्ती गांव में, हवाओं में रेगिस्तान की खुशबू है, लेकिन आज यहां कुछ और भी है- हंसी के ठहाके, संगीत की आवाज़ और लयबद्ध ताल पर नाचते पैर। धूप की सुनहरी किरणों के बीच रंग-बिरंगे घाघरे पहने महिलाओं की पायल की आवाज़ एक खूबसूरत स्वर उत्पन्न करती है। वे किसी त्योहार के कारण यह जश्न नहीं मना रहीं बल्कि उनके जश्न की कोई और ही वजह है- उनके इलाके में कीमती ‘मीठापानी’ आखिरकार पहुंच गया है।
कई पीढ़ियों से इन महिलाओं को सूरज उगने से पहले जागकर मीलों पैदल चलना पड़ता है, तेज़ धूप के बीच पैदल चलकर वे रोज़ाना पानी लेकर आती हैं। भारी मटकों के बोझ तले उनके कंधे दर्द करने लगते हैं, और दिन भर वे पानी की मशक्कत के इर्द-गिर्द घूमती हैं। लेकिन आज उनका यह बोझ खत्म हो गया है। वेदांता के वॉटर एटीएम और बाप नाड़ियों की बदौलत आज उन तक साफ पेयजल पहुंच चुका है। पहली बार उनके चेहरों पर राहत के आंसू और खुशी से भरी मुस्कान दिखाई दे रही है। क्योंकि पानी अब उनके लिए कोई सपना नहीं बल्कि वास्तविकता बन चुकी है।
इस तरह की कहानियां जीवन में पानी के महत्व पर रोशनी डालती हैं। हिंदुस्तान ज़िंक एवं डायरेक्टर वेदांता लिमिटेड की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने लोगों के जीवन में जल सकारात्मकता उत्पन्न करने में बदलावकारी भूमिका निभाई है और सुनिश्चित किया है कंपनी के संचालन क्षेत्रों में समुदायों के लिए कीमती जल संसाधन आसानी से सुलभ हो सके। ताकि क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियां और कारोबार फलते-फूलते रहें।
पानी- एक कीमती संसाधन जो आज खतरे में हैं
पानी की कमी आज गंभीर रूप ले चुकी है- यह देश भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाला संकट बन चुका है। देश में 1.4 बिलियन से अधिक आबादी के बावजूद भारत के पास ताज़े जल के मात्र 4 फीसदी स्रोत हैं, ऐसे में देश के लिए जल आपूर्ति एक बड़ा मुद्दा है। हाल ही के अनुमानों के मुताबिक तकरीबन 35 मिलियन भारतीयों के पास सुरक्षित जल उपलब्ध नहीं है।
शुष्क इलाकों में यह कमी और भी गंभीर हो जाती है जहां भूमिगत जलस्तर में गिरावट और अनियमित मानसून आजीविका को खतरे में डाल रहे हैं। उदाहरण के लिए 14 मिलियन लोगों के शहर बैंगलुरू को हाल ही में पानी के गंभीर संकट से जूझना पड़ा, इस दौरान लोगों को पानी की ज़रूरत पूरी करने के लिए टैंकर डिलीवरी का सहारा लेना पड़ा। ऐसी स्थितियों को देखते हुए ज़रूरी हो जाता है कि उद्योग जगत, सरकारें एवं समुदाय एक साथ मिलकर जल संसाधनों के संरक्षण और इनके नवीनीकरण के लिए काम करें।
इस संकट को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन का लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य सभी ग्रामीण घरों में नल के कनेक्शन द्वारा सुरक्षित एवं उपयुक्त पेय जल उपलब्ध कराना है। इसी क्रम में मिशन पानी जैसे प्रयास जल संरक्षण एवं प्रबन्धन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए स्थायी प्रथाओें को बढ़ावा देते हैं। स्पष्ट है कि उद्योग जगत को राष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप जल संकट को हल करने में योगदान देना चाहिए। जल सकारात्मकता की दिशा में वेदांता की प्रतिबद्धता न सिर्फ सरकारी मिशन को समर्थन देती है बल्कि लक्षित सामुदायिक हस्तक्षेप एवं स्थायी प्रथाओं के माध्यम से इनके प्रभाव का पैमाना भी बढ़ाती है।
जल सकारात्मकता की दिशा में बढ़ते कदम
विश्वस्तरीय प्राकृतिक संसाधन कंपनी होने के नाते वेदांता स्थायी जल प्रबन्धन के लिए अपनी ज़िम्मेदारी को समझती है। कंपनी ने 2030 तक शुद्ध जल सकारात्मकता हासिल करने की शपथ ली है, यानि यह जितना पानी इस्तेमाल करेगी, इससे अधिक पुनःपूर्ति करेगी। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल संरक्षण, व्यर्थ जल की रीसायक्लिंग और सामुदायिक प्रयासों के साथ बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है। स्थायित्व की दिशा में वेदांता के प्रयास पहले से उत्कृष्ट परिणाम दे रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2024 में हमारी साईट्स- हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड, आयरन ओर बिज़नेस, कैयर्न ऑयल एण्ड गैस, बीएमएम और फेकोर माइन्स- पहले से जल-सकारात्मकता का दर्जा हासिल कर चुके हैं। यह उपलब्धियां उद्योग जगत के विकास एवं पारिस्थतिक कल्याण के बीच तालमेल बनाने के कंपनी के समर्पण की पुष्टि करती हैं। वेदांता आधुनिक जल प्रबन्धन तकनीकों का उपयोग कर पर्यावरण पर फुटप्रिन्ट को न्यूनतम करने के लिए प्रयासरत है। कंपनी ने अत्याधुनिक ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम अपनाया है और सुनिश्चित किया है कि ओद्यौगिक व्यर्थ जल को उपचारित कर फिर से प्रभावी रूप से उपयोग किया जाए। इसके अलावा पानी के उपयोग पर निगरानी रखने एवं इसे अनुकूलित करने के लिए स्मार्ट वॉटर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि पानी की बर्बादी को कम कर दक्षता को बढ़ाया जा सके- और इस तरह की तकनीकों के साथ वेदांता ने 85 मिलियन मीटर क्यूब से अधिक पानी रीसायकल किया हैं। इसी तरह की सफलता की एक और कहानी लांजीगढ़एलुमिना रिफाइनरी से आती है, जहां वेदांता ने क्लोज़्ड लूप वॉटररीसायक्लिंग सिस्टम को अपनाकर ताज़े पानी की खपत में काफी कटौती की है। इस तरह की तकनीकी प्रगति से न सिर्फ ताज़े जल के संसाधनों पर उद्योग जगत की निर्भरता कम हुई है बल्कि इसने सेक्टर में स्थायी संचालन के नए बेंचमार्क भी स्थापित किए हैं।
जल नेतृत्व के माध्यम से समुदायों को बना रहे सक्षम
जल संरक्षण सिर्फ कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व ही नहीं बल्कि यह जीवन को समृद्ध बनाने के बारे में भी है। वेदांता के जल संरक्षण प्रयासों ने ग्रामीण समुदायों पर अनुकूल प्रभाव उत्पन्न किया है, खासतौर पर वे समुदाय जो पानी के संकट से जूझते रहे हैं। वर्षा जल संचय, भूमिगत जल के रीचार्ज की परियोजनाओं, व्यर्थ जल के उपचार प्लांट्स के माध्यम से वेदांता सुनिश्चित करती है कि स्थानीय समुदायों को पानी के स्वच्छ एवं स्थायी संसाधन मिलें। राजस्थान में जहां जल का संकट एक सतत चुनौती है, वेंदाता की हिंदुस्तान ज़िंक ने व्यापक वर्षा जल संचय प्रणाली स्थापित की है और पारम्परिक जल स्रोतों के पुनरुत्थान द्वारा साल भर पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित किया है। इन सभी प्रयासों से न सिर्फ कृषि उत्पादकता में बल्कि किसानों के जीवन में भी सुधार हुआ है, जो पहले पानी के संकट से जूझ रहे थे। इसी तरह उड़ीसा के खनन बेल्ट में वेदांता ने चैक डैम के निर्माण, बांध पुनरुत्थान परियोजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और ग्रामीणों को पीने एवं सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाया है। इन सभी हस्तक्षेपों के चलते माइग्रेशान की दर कम हुई है, अब स्थानीय लोगों को जल संकट की वजह से अपना घर छोड़कर दूर नहीं जाना पड़ता।
Updated on:
22 Mar 2025 02:48 pm
Published on:
22 Mar 2025 02:02 pm
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