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जैसलमेर

सात समंदर पार कर जैसाण पहुंचे आन्या व आर्या

-तीन विदेशी गिद्धों को रेडियो टैग कर शुरू किया गया था अध्ययन

जैसलमेरJan 26, 2022 / 07:28 pm

Deepak Vyas

सात समंदर पार कर जैसाण पहुंचे आन्या व आर्या

सात समंदर पार कर जैसाण पहुंचे आन्या व आर्या

लाठी (जैसलमेर). सात समंदर पार से आए दो गिद्धों आन्या व आर्या इन दिनों चर्चाओं में हैं। आन्या ने 2300 किमी की उड़ान ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के उप्पर से भरी और वर्तमान में जैसलमेर-बाड़मेर जिलों की सीमा पर शिव के आसपास काफी दिनों से विचरण कर रहा है, वहीं दूसरे गिद्ध आर्या ने 1500 किलोमीटर की उड़ान अफगानिस्तान और पाकिस्तान के उप्पर से भरकर क्षेत्र के भादरिया राय ओरण में मृत गायों को फेंकने के स्थान पर समय व्यतीत करने पहुंचा है। बुल्गारियन सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बड्र्स के वैज्ञानिक व्लादिमीर डोब्रेव ने ओरिएंटल बर्ड क्लब और हॉक कन्जर्वेसी ट्रस्ट प्रोग्राम के साथ मिलकर वर्ष 2021 के सितम्बर माह में मध्य एशिया के उज्बेकिस्तान के किजिलकुम मरुस्थल में तीन इजिप्शियन गिद्धों को रेडियो टैग करके उनका अध्ययन शुरू करा था, जिसमें से दो गिद्ध हजारों किलोमीटर का फासला तय कर यहां पहुंच गए हैंं।
यह मिलेगा लाभ
-पोकरण उपखंड के लाठी क्षेत्र पहुंचे विदेशी प्रवासी पक्षी क्षेत्र के घास मैदानों और ओरणों के अंतरराष्ट्रीय महत्व को भी दर्शाने में महत्वपूर्ण हैं।
-व्लादिमीर की मानें तो उज्बेकिस्तान में इन गिद्धों के केवल 135 जोड़े ही बचे हैं, जो सभी सर्दियों में दक्षिण दिशा की तरफ प्रवास कर जाते हैं।
-शोध से इन पक्षियों के प्रवास मार्ग में आ रहे खतरों व कठिनाइयों की जानकारी मिल सकेगी और इन्हें संरक्षित करने में मदद भी मिलेगी।
एक्सपर्ट व्यू
जैसलमेर में पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रही संस्थाए ईआरडीएस संस्थान के मानद वैज्ञानिक डॉ. सुमित डुकिया बताते हैं कि विभिन्न देशों के पक्षी विशेषज्ञों द्वारा इस प्रकार के शोध प्रवासी पक्षियों के विचरण क्षेत्र के पर्यावरण को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भादरिया ओरण क्षेत्र में मध्य एशिया से पहुंचे गिद्ध की जानकारी मिलने पर वहाँ के स्थानीय पर्यावरण संरक्षक राधेश्याम विश्नोई बताते हैं कि लाठी क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी गिद्ध पहुंचते हैं, जो क्षेत्र की भादरिया ओरण में सुरक्षित महसूस करते हैं।
जैसलमेर के ही पर्यावरण प्रेमी पार्थ जगाणी इसे महत्वपूर्ण शोध जानकारी बताते हुए कहते हैं कि आमतौर पर इस प्रजाति के गिद्धों को भारत का स्थानीय पक्षी ही समझा जाता रहा है लेकिन यह शोध रोचक जानकारीयाँ प्रदान कर रहा है। गौरतलब है कि प्रवासी पक्षी विभिन्न देशों से लम्बी दूरी तय कर यहां के ओरणों व घास मैदानों में भोजन की तलाश में पहुंचते हैं। शोध में यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि प्रवासी पक्षी किन-किन रास्तों से होकर यहां तक पहुंचते हैं और यहां से आगे कहां जाते हैं।

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