जितनी लागत व मेहनत मिट्टी के दीपक बनाने में लगती है, उसका पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाता है। जिस तरह से पूर्व में रेलों पर मिट्टी के सिकोरे बेचने पर अनुदान दिया जाता था, उसी तरह यदि सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है, तो दीपक बनाने वालों को अच्छी आमदनी हो सकती है।
-सत्यनारायण प्रजापत, जिला प्रभारी कुंभकार हस्तकला विकास समिति, पोकरण।