
दीपक व्यास
जैसलमेर। भारत-पाक सीमा से महज 15 किमी दूर स्थित लोंगेवाला क्षेत्र भारतीय सैन्य पराक्रम शौर्यगाथा का जीवंत गवाह है। यही वह स्थल है, जहां 4-5 दिसंबर 1971 की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 179 सैनिकों को मार गिराया और उनके 37 टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया था। कभी जहां टैंक दफन हुए थे, आज वहीं बना है लोंगेवाला युद्ध संग्रहालय।
एक समय जिसे ‘दुश्मन टैंकों की कब्रगाह’ कहा जाता था, वही स्थल आज हजारों सैलानियों को आकर्षित कर रहा है। संग्रहालय में पाकिस्तान के नष्ट किए गए टी-59 और शेरमन टैंक, 106 मिमी रिकॉयलेस गन, आरसीएल जीप, युद्ध बंकर और सैनिक चौकियां वीरता की कहानी को सजीव बनाते हैं। हर साल 50 हजार पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं। संग्रहालय शौर्य की स्मृति तो है ही, नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना भी भर रहा है।
464 के करीब लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है जैसलमेर की
08 लाख सैलानी प्रतिवर्ष भ्रमण को आते हैं जैसलमेर
120 किलोमीटर जैसलमेर से दूर स्थित है
50 हजार पर्यटक आते हैं लोंगेवाला वार म्यूजियम
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सेना के 120 सपूतों की वीरता की याद में बनाया गया लोंगेवाला युद्ध स्थल अब देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना का संचार करने के काम आ रहा है। पर्यटन व्यवसायी सुमेरसिंह राजपुरोहित के अनुसार पर्यटन के लिहाज से सरहदी जिले में तनोटराय देवी के मंदिर में दर्शन करने के साथ लोंगेवाला युद्धस्थल बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
Published on:
14 May 2025 09:25 am
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