अब सैम्पल देने के बाद भी घर नहीं रुक रहे लोग, पॉजिटिव आने के बाद मच रहा हड़कंप
– जागरूकता की कमी से बढ़ रहे संक्रमण के मामले
अब सैम्पल देने के बाद भी घर नहीं रुक रहे लोग, पॉजिटिव आने के बाद मच रहा हड़कंप
पोकरण. कहते है कि सरकार जितनी अधिक सुविधाएं लोगों को देती है, लोग उतना ही उनका दुरुपयोग करते है। ऐसा ही देखने को मिल रहा है गत कुछ दिनों से पोकरण क्षेत्र में। सरकार की ओर से लोगों की सुविधा को देखते हुए सैम्पल लेने तथा पॉजिटिव आने के बाद घरों में ही क्वारेंटीन किया जा रहा है, लेकिन लोग इस बात का दुरुपयोग करते हुए नियमों का मखौल बनाकर उनका उल्लंघन करने पर उतारू हो रहे है। लोगों की ओर से नियमों की सही पालना नहीं किए जाने के कारण लगातार कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। गौरतलब है कि गत मार्च माह में देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढऩे लगी। जिस पर 22 मार्च को सरकार की ओर से देशभर में लॉकडाउन किया गया। उस समय कोरोना को लेकर लोगों में भय भी अधिक था। सरकार के नियमों के अनुसार सैम्पल देते ही लोगों को संस्थागत क्वारेंटीन कर दिया जाता था तथा रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी 14 दिनों तक उन्हें क्वारेंटीन रखा जाता था। समय के साथ लोग कोरोना को हल्के में लेने लगे। इसके साथ ही कोरोना का आंकड़ा भी बढऩे लगा। सरकार की ओर से नियमों में छूट देने का सिलसिला भी अनवरत रूप से जारी रहा, लेकिन लोगों ने सरकार की छूट का बेजा उपयोग करना शुरू कर दिया हैै।
क्या है नियम
चिकित्सा विभाग की ओर से क्षेत्र में सर्वे व स्क्रीनिंग का कार्य लगातार जारी है। यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वैच्छा से अपना सैम्पल देना चाहता है, तो वह भी दे सकता है। विभाग की ओर से बाहर से आने वाले लोगों, संक्रमित मिलने वाले व्यक्ति के परिवारजनों व उनके संपर्क में आए लोगों के सैैम्पल लिए जाते है। पहले सूची तैयार होती है तथा इसके बाद अस्पताल में बुलाकर उनके सैम्पल लेकर छोड़ दिया जाता है। साथ ही उन्हें रिपोर्ट आने तक घर में परिवारजनों से अलग रहने के लिए पाबंद किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति संक्रमित मिलता है, तो वह अपनी स्वैच्छा से एक आवेदन देकर घर में ही क्वारेंटीन हो सकता है। बशर्ते उसे परिवारजनों से अलग कमरे में रहना होगा।
यूं उड़ता हैै नियमों का मखौल
लोग अपना सैम्पल देने के बाद रिपोर्ट आने तक घर में बैठने की बजाय रोजमर्रा की तरह काम निपटाते है। किसी से मिलने, भीड़़ में जाने तथा परिवारजनों के संपर्क में आने से भी नहीं झिझकते है। इसके बाद यदि कोई संक्रमित मिलता है तथा उसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते है, तो वह भी दो दिन घर में बैठकर बाहर निकलने लग जाता हैै। एकांत में ऊबने का बहाना बनाकर वह परिवारजनों के संपर्क में भी आता है और अपने यार दोस्तों के भी। इस प्रकार लगातार संक्रमण बढ़ता जा रहा है।
केस – 1
एक व्यक्ति ने गत 16 सितम्बर को अपना सैैम्पल दिया। 18 को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इन दो दिनों में उसके संपर्क में आया एक दोस्त भी जांच में पॉजिटिव निकला। कॉन्टेक्ट हिस्ट्री में जानकारी मिली कि उसने दो दिनों में कई लोगों से मुलाकात की। जब उसके परिवारजनों की जांच की गई, तो एक परिवारजन भी संक्रमित पाया गया।