भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के विस्तृत विधानसभा क्षेत्र पोकरण में आज भी खेल प्रतिभाओं के लिए कोई खेल स्टेडियम नहीं है।
भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के विस्तृत विधानसभा क्षेत्र पोकरण में आज भी खेल प्रतिभाओं के लिए कोई खेल स्टेडियम नहीं है। हालांकि क्षेत्र की कई प्रतिभाओं ने अपने दम पर तैयारी कर राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है, लेकिन बढ़ते प्रतियोगिता वाले युग में युवा पीढ़ी के लिए कोई विशेष सुविधाएं नहीं है। ऐसे में खिलाडिय़ों को न तो मार्गदर्शन मिल पा रहा है और न ही वे तैयारी कर पा रहे है। जानकारी के अनुसार पोकरण क्षेत्र विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है। विधानसभा मुख्यालय व दो उपखंड क्षेत्र होने के बावजूद यहां सुविधाओं से युक्त कोई खेल स्टेडियम नहीं है। ऐसे में युवा खिलाडिय़ों को छोटे-छोटे खेल मैदानों ही तैयारी करनी पड़ रही है। इसके अलावा उनके लिए कोई सुविधाएं भी नहीं है, जिसके कारण तैयारी के दौरान कई परेशानियों से रु-ब-रु होना पड़ता है। हालांकि पोकरण क्षेत्र की कई प्रतिभाओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की, लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते खिलाडिय़ों को अन्यंत्र जाकर तैयारी करनी पड़ रही है।
करीब एक दशक पूर्व कस्बे में राजकीय महाविद्यालय के पास नगरपालिका की ओर से एक स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। करीब छह-सात वर्षों तक चारदीवारी के अलावा यहां कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया। करीब दो वर्ष पूर्व सरकार की ओर से कुछ राशि आवंटित करने पर यहां एक भवन, चारदीवारी की मरम्मत और वॉलीबॉल के लिए मैदान तैयार किया गया। साथ ही एक ट्रेक भी बनाया गया। इसके अलावा अन्य एक मैदान तैयार करने के लिए फाउंडेशन भरा गया, जो अभी तक अधूरा ही पड़ा है। स्टेडियम का कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है। साथ ही भवन के अलावा वॉलीबॉल मैदान व ट्रेक क्षतिग्रस्त हो गए है। यहां झाडिय़ां लग गई है। इस अधूरे स्टेडियम में झाडिय़ों, कचरे व गंदगी की भरमार है। साथ ही चारदीवारी भी पूरी तरह से टूट चुकी है।
कस्बे के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी तरह के हालात है। कहीं कोई स्टेडियम नहीं है और सुविधाओं की कमी है। हालांकि प्रत्येक विद्यालय के पास छोटा खेल मैदान है, लेकिन न तो पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, न ही सुविधाएं। जिसके कारण गांवों में निवास कर रहे खिलाडिय़ों को अन्यत्र जाकर तैयारी करनी पड़ रही है।
गांवों में कई प्रतिभाएं है, जिन्हें न तो उचित मार्गदर्शन मिल रहा है, न ही उनके लिए कोई संसाधन। कस्बे के साथ गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ पर्याप्त संसाधन मिल जाए तो ये प्रतिभाएं आगे आकर क्षेत्र का नाम रोशन कर सकती है।
ग्रामीण क्षेत्र में खेल मैदानों की कमी है। क्षेत्र में यदि सुविधाओं से युक्त एक बड़े खेल मैदान या इंडोर स्टेडियम की स्थापना की जाती है तो खिलाडिय़ों को सुविधा मिल सकती है।