पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के पोकरण क्षेत्र में कुरजां की आवक अगले माह शुरू होगी।
पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के पोकरण क्षेत्र में कुरजां की आवक अगले माह शुरू होगी। निराशाजनक बात यह है कि हर वर्ष हजारों किलोमीटर की उड़ान भर आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए यहां कोई व्यवस्था अब तक देखने को नहीं मिली है। गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में कई तालाब विदेशी प्रवासी पक्षी कुरजां के आवास के लिए अनुकूल है। ऐसे में प्रतिवर्ष चार से पांच हजार कुरजां यहां डेरा डालती है, जबकि जिले में किसी भी तालाब पर कुरजां के लिए सुविधाओं का विकास नहीं हो रहा है। जानकारों की मानें तो यदि कुरजां के लिए यहां सुविधाएं विकसित की जाती है तो उन्हें उचित आबो-हवा के साथ सुरक्षित वातावरण मिल सकेगा। सितंबर माह में कुरजां की आवक शुरू हो जाएगी। कुरजां के झुंड आने से पूर्व इनका अग्रिम दल आता है, जो स्थलों की पहचान करता है। सितंबर माह के पहले सप्ताह से पूर्व यदि कुरजां पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं की जाती है तो जैसलमेर होकर खींचन जाने वाली कुरजां का भी यहां ठहराव बढ़ सकेगा।
मध्य एशिया के मंगोलिया, चीन, कजाकिस्तान से प्रवासी पक्षी कुरजां शीत ऋतु की शुरुआत में भारत में प्रवास करती है। विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में सर्द मौसम में कुरजां का प्रवास होता है। सितंबर माह के पहले व दूसरे सप्ताह में कुरजां की आवक शुरू हो जाती है। सितंबर व अक्टूबर माह में जैसलमेर के चांधन, कोजेरी नाडी, डेलासर, देगराय ओरण सहित आसपास के तालाबों और पोकरण क्षेत्र के भणियाणा, खेतोलाई, धोलिया, भादरिया, रामदेवरा आदि गांवों के पास स्थित तालाबों व गुड्डी गांव में स्थित रिण में चार से पांच हजार कुरजां प्रवास करती है। ये कुरजां छह माह तक फरवरी माह के बाद मार्च में गर्मी की शुरुआत के साथ वापिस अपने स्वदेश के लिए प्रस्थान करती है।
प्रदेश में सर्वाधिक कुरजां पोकरण से केवल 65 किलोमीटर दूर फलोदी जिले के खींचन गांव में स्थित तालाब पर पड़ाव डालती है। खींचन तालाब पर प्रतिवर्ष 10 से 15 हजार कुरजां प्रवास करती है। खींचन में कुरजाओं के लिए भोजन, पानी के साथ उपचार, उनकी देखरेख, पर्यटकों के लिए बैठने व पक्षियों को देखने के साथ कई सुविधाएं विकसित की गई है। इसके साथ ही खींचन क्षेत्र में निकलने वाली विद्युत तारों को भी भूमिगत किया गया है, ताकि हादसों को रोका जा सका। दूसरी तरफ जैसलमेर व पोकरण क्षेत्र में सुविधाओं के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है।