
जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग के शिव मार्ग क्षेत्र की पहले से क्षतिग्रस्त दीवार से बड़े आकार के पत्थरों के मंगलवार दिन में अचानक गिर जाने से क्षेत्र में एक बार फिर दहशत का वातावरण बन गया है। आनन-फानन में मौके पर पहुंची पुलिस ने आसपास की दुकानों को बंद करवाया और रास्ते के दोनों ओर बेरिकेड लगवाकर आवाजाही रोक दी। गनीमत यह रही कि ढलान से लुढक़ कर आए वजनी पत्थरों की चपेट में कोई इंसान या पशुधन नहीं आया, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था। राजस्थान पत्रिका ने गत 22 तारीख को च्सोनार दुर्ग की क्षतिग्रस्त दीवार : दिन में खौफ और रात में आशंकाज् शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित कर इस संबंध में जिम्मेदारों को आगाह किया था। गौरतलब है कि इस साल 6 अगस्त को मानसून काल में सोनार दुर्ग के शिव मार्ग क्षेत्र में आए इस हिस्से के बुर्ज से सटी दीवार का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया था। उसके बाद से यह मामला अधर में ही अटका हुआ है। पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग इस मसले का अभी तक स्थायी समाधान नहीं कर सका है। जानकारी के अनुसार मंगलवार को जिस समय पत्थर गिरे, तब दो मजदूर भी काम कर रहे थे, वे तुरंत वहां से भागे। पत्थरों के गिरने से बेरिकेड और टेलीफोन विभाग का एक खंभा क्षतिग्रस्त होकर जमींदोज हो गया।
जानकारी के अनुसार मंगलवार को क्षतिग्रस्त दीवार से 4 बडे-बड़े पत्थर नीचे सडक़ पर गिर गए। ऐसा होते ही सडक़ क्षेत्र में हडक़म्प के हालात बन गए। आसपास के दुकानदारों सहित रहवासियों में भय का वातावरण बन गया। मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने दोनों तरफ से मार्ग में अवरोध लगा कर आवाजाही को बंद करवाया है। पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इधर इस क्षेत्र के दुकानदार चंद्रशेखर थानवी ने बताया कि वे इस खतरे का स्थायी समाधान करने के लिए प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं। हाल में जैसलमेर के दौरे पर आए केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री राजभूषण चौधरी के वहां से गुजर रहे काफिले को भी रुकवा कर मंत्री को इस समस्या से अवगत करवाया गया था। थानवी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री से हमने मांग की थी कि यह मामला केंद्र सरकार तक पहुंचाएं। वहां पास में ही रहने वाले रईस खान ने बताया कि आज एक बार फिर पत्थर गिरने से हम डरे हुए हैं। यहां दिनभर हमारी और बच्चों की भी आवाजाही रहती है। हम लोग कभी हादसे का शिकार हो सकते हैं। पिछले दिनों पुरातत्व विभाग ने दुर्ग के बुर्ज से सटी इस क्षतिग्रस्त दीवार की मरम्मत के लिए टेंडर भी जारी किए गए। जानकारी के अनुसार यह काम सिरे नहीं चढ़ पाया है।
गत 6 अगस्त के बाद से आज तक शिव मार्ग के संबंधित हिस्से के लोग भयभीत वातावरण में रह रहे हैं वहीं रोजाना यातायात संबंधी परेशानियों से हजारों लोग रूबरू होते हैं। इस मार्ग पर सोनार दुर्ग से जुड़ी ऐतिहासिक दीवार के गिरने के बाद से मार्ग की व्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं लौट सकी है।
Published on:
26 Nov 2024 10:54 pm
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