पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र और सिक्किम में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। लगातार हुई बारिश के कारण भूस्खलन, पुल टूटने और अचानक आई बाढ़ ने कम से कम 17 लोगों की जान ले ली है। कई इलाकों को बाकी हिस्सों से संपर्क कट गया है।
दार्जिलिंग जिले के मिरिक में बड़े भूस्खलन के चलते 6 लोगों की मौत हुई है। मिरिक और कुर्सियांग को जोड़ने वाला दुधिया आयरन ब्रिज टूट गया, जिससे सैकड़ों लोग फंसे रह गए हैं। कुर्सियांग के पास नेशनल हाईवे 110 के हुसैन खोला इलाके में भी भूस्खलन की खबर है, जिससे गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह बाधित हो गई है। कालिमपोंग जिले में लगातार बारिश ने घरों, सड़कों और संचार लाइनों को भारी नुकसान पहुंचाया है। नेशनल हाईवे 717ई, जो सिलीगुड़ी और सिक्किम को जोड़ता है, पेडोंग और ऋषिखोला के बीच भूस्खलन के कारण पूरी तरह बंद हो गया है।
वहीं, नेपाल के कोशी प्रांत में भी भारी बारिश से भूस्खलन हुए हैं, जिसमें कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है। दुधिया में बालासोन नदी पर बना लोहे का पुल भी बह गया है, जिससे सिलीगुड़ी और मिरिक के बीच संपर्क टूट गया है। पानी के बढ़ते स्तर को देखते हुए सिलीगुड़ी–दार्जिलिंग SH-12 रूट पर सभी यातायात को रोक दिया गया है। बीजेपी सांसद राजू बिष्टा ने इस तबाही पर दुख जताया और राहत कार्यों में मदद के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं। दार्जिलिंग जिला पुलिस की टीम और स्थानीय स्वयंसेवक कठिन हालात और खराब मौसम के बावजूद लगातार रेस्क्यू में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने दार्जिलिंग में पुल हादसे में जान गंवाने वालों के प्रति गहरा दुख जताया है। उन्होंने घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है और राहत कार्यों की सफलता की प्रार्थना की है।
भारतीय मौसम विभाग ने दार्जिलिंग, कालिमपोंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार के लिए ऑरेंज अलर्ट और अलीपुरद्वार के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। भारी बारिश और और भूस्खलन की संभावना अभी भी बनी हुई है। प्रशासन ने लोगों से घरों में ही रहने, पेड़ों या बिजली की तारों के नीचे खड़े न होने, और नदियों या जलभराव वाले इलाकों से दूर रहने की अपील की है। दूसरी ओर लगातार बारिश ने राहत और बचाव कार्यों में भी बाधा डाली है। कई प्रमुख हाईवे मलबे से ब्लॉक हो गए हैं। लोगों को जरूरी सामान पहले से इकट्ठा करने और मौसम से जुड़ी अपडेट पर नजर रखने की सलाह दी गई है।
इस आपदा का असर जानवरों पर भी पड़ा है। तेज बारिश और नदियों के उफान की वजह से वन्यजीव इंसानी बस्तियों में घुस आए हैं। जलधाका नदी के उफान के बाद एक हाथियों का झुंड कामरघाट इलाके में फंस गया है, वहीं एक गैंडा कालीबाड़ी पहुंच गया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। कशियार बाड़ी में बाढ़ में फंसे एक बाइसन के बच्चे को ग्रामीणों ने बचाया है, जबकि कुर्सियांग के गांवों में कई हिरण देखे गए हैं। वन विभाग की टीमें जानवरों को सुरक्षित इलाकों में वापस ले जाने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी हैं।
बता दें कि यात्रियों को उत्तर बंगाल और सिक्किम की ओर गैर-जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी गई है। दार्जिलिंग, कालिमपोंग, गंगटोक या मिरिक जाने वाले पर्यटक अपनी यात्राएं स्थगित करें, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पर्यटन विभाग की सलाह का पालन करें। बागडोगरा एयरपोर्ट से हवाई यातायात चालू है, लेकिन पहाड़ी इलाकों के लिए सड़क मार्ग अभी भी असुरक्षित है। टूर ऑपरेटरों को यात्रा पर फिर से विचार करने और स्थानीय प्रशासन से समन्वय बनाकर ही बुकिंग करने का आदेश दिया गया है।