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जांजगीर चंपा

इजीएल में खेल: एक ही प्रिंटर्स से लिया काम, संकुल प्रभारियों को थमाया बिल और कहा करो भुगतान

इजीएल (अरबी ग्रेट लिटरेसी) सिस्टम से अब पहली दूसरी के छात्र स्मार्ट क्लास से पढ़ाई कराने के लिए इजीएल योजना में मनमानी का आरोप लगा है।

जांजगीर चंपाDec 12, 2023 / 09:02 pm

Sanjay Prasad Rathore

इजीएल में खेल: एक ही प्रिंटर्स से लिया काम, संकुल प्रभारियों को थमाया बिल और कहा करो भुगतान

इजीएल में खेल: एक ही प्रिंटर्स से लिया काम, संकुल प्रभारियों को थमाया बिल और कहा करो भुगतान

डीएमसी पर आरोप है कि उन्होंने दबाव बनाकर प्राचार्यों से कोटेशन मांग रहे हैं। ताकि अपने चहेती फर्म से काम लिया जा सके और लाखों का भुगतान किया जा सके। जानकारों की माने तो इस योजना के तहत संकुल प्राचार्यों को किसी तरह की जानकारी ही नहीं है और उन्हें दो से तीन लाख का बिल थमा दिया गया है और उन्हें भुगतान करने दबाव बनाया जा रहा है। जबकि उक्त योजना की राशि अब तक डीएमसी के खाते में ही जमा है। संकुल प्राचार्यों को यहां तक कि पता नहीं है कि योजना क्या है और कोटेशन किस आधार पर दें। उन्हें जानकारी ही नहीं है और उनके अधिकार क्षेत्र से हटकर काम कराने डीएमसी द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक तक संकुल प्राचार्यों को कुछ भी जानकारी नहीं है। कि वे सामानों की खरीदी कहां से करेंगे और भुगतान कैसे करेंगे। इससे उन्हें अपने अधिकारों से वंचित कर दिया गया है।
कहावत है कि सबसे अधिक घालमेल यदि कोई विभाग हो तो शिक्षा विभाग का नाम सुर्खिंयों में रहता है। कुछ इसी तरह की गड़बड़ी बीते महीने इजीएल के रूप में करने का आरोप लगा है। शिक्षा विभाग के जानकारों का मानना है कि 80 लाख रुपए के बजट स्वीकृत कराने के लिए न तो कोटेशन नियमों का पालन किया गया है और न ही प्राचार्यों को लिखित आदेश दिया गया है। संकुल प्राचार्यों को केवल दो से तीन लाख रुपए का बिल थमाया जा रहा है और भुगतान करने कहा जा रहा है। इसके लिए कापी पुस्तकों की छपाई के लिए डीएमएफ मद से 80 लाख रुपए खर्च किया गया है। जिसमें चहेती फर्म से काम लेकर योजना की राशि में बंदरबांट किया जा रहा है।

यह है शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य


शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखने वाले बच्चों को अब विशेष तौर पर अलग तरीके से हटकर अक्षर ज्ञान दिया जाएगा। फोटो व अन्य चित्रकारी के माध्यम से उन्हें अ, ब, स, द की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए शिक्षकों को ट्रेंड किया गया है। ताकि बच्चे फोटो व चित्रकारी के माध्यम से बहुत जल्द भाषा का ज्ञान अर्जित कर सकें और आगे बढ़ सकें। दरअसल, बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के सरलीकरण के लिए इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है। ताकि बच्चों को ज्ञान अर्जित करने में दिक्कतों का सामना करना न पड़े।

नवागढ़, अकलतरा ब्लाक के बच्चों को मिलेगा लाभ


यूनिसेफ के सहयोग से संचालित इस पाठ्यक्रम में पहली दूसरी के हजारों छात्रों के प्रारंभिक शिक्षा को आगे बढ़ाने यह बड़ा कदम बताया जा रहा है लेकिन काम काज में पारदर्शिता नजर नहीं आ रही है। राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों पर आरोप लग रहा है कि मानमानी तरीके से इस योजना में काम लिया जा रहा है। प्रथम पाली में इजीएल (अरबी ग्रेट लिटरेसी) सिस्टम से पढ़ाई के लिए अकलतरा व नवागढ़ ब्लाक के बच्चों को इस सुविधा से जोड़ा गया है।

इन कामों में गड़बड़ी का आरोप


0 80 लाख की योजना में टेंडर नियमों का पालन क्यों नहीं
0 पुस्तक छपाई आखिर किस आधार पर हुई
0 प्रशिक्षण के नाम पर कितने खर्च हुए
0 वॉल पेंटिंग पर खर्च किस आधार पर किए
0 फ्लैक्सी लगाने में कितना खर्च किए
0 संकुल प्राचार्यों को आखिर अधिकारों से वंचित क्यों
0 चांपा के एक ही पिं्रटर्स को काम क्यों
0 तिरंगा अभ्यास पुस्तिका छपाई में भी गड़बड़ी का आरोप
0 विद्यार्थी नोट बुक छपाई में भी गड़बड़ी

लोगों का आरोप गलत है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग बड़े अधिकारी कर रहे हैं। हम केवल योजना को आगे बढ़ाने एक माध्यम बस हैं।
-राजकुमार तिवारी, डीएमसी

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