
CG News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 45 साल पुराने जिला जेल की बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है। बरसात में जेल के बिल्डिंग की छत से से पानी टपक रहा है। साथ ही छत का प्लास्टर गिर रहा है। छत का सरिया भी झांकने लगा है। कई बार बंदी व स्टाफ छत के प्लास्टर गिरने से बाल-बाल बच चुके हैं। मौत के साए के बीच जिला जेल में बंदी व जेल स्टाफ रहने को मजबूर हैं। जेल प्रबंधन द्वारा उच्चाधिकारियों व प्रशासन को कई बार इस संबंध में अवगत कराया जा चुका है। इसके बावजूद जिमेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शायद उसको कोई बड़ी अनहोनी का इंतजार है।
CG News: जिला मुयालय स्थित जिला जेल भवन अनेक जगह से जर्जर हो चुका है। करीब 45 साल पुराने जेल भवन की छत से सरिया झांक रहा है। साथ ही प्लास्टर लगातार गिर रहा है। कई बार बंदी व स्टाफ के आसपास ही छत का प्लास्टर गिर चुका है। साथ ही बरसात के समय में दीवार से पानी टपक रहा है। ऐसे में कुल मिलाकर जिला जेल की दीवारें बड़ी कमजोर हो गई है। ज्ञात हो कि जेल की चारदीवारी को और ऊंचा करने का प्लान धरी की धरी रह गई है। जेल की दीवारें ऊंची करने के लिए 57 लाख रुपए स्वीकृत भी हो गया था। फिर भी जेल की मरमत नहीं की जा रही है। दीवार ऊंची करने वाली निर्माण एजेंसी ने भी हाथ खींच लिए हैं।
ऐसे में निर्माण कार्य को मिले 80 लाख रुपए पड़ा हुआ है। एक ओर ऊंची दीवार भी नहीं बनाए जा रहे हैं, दूसरी ओर सबसे सुरक्षा माने जाने वाले जेल की दीवार भी कमजोर हो रही है। छत के प्लास्टर गिरने से सरिया झांकने लगे है। साथ ही इस बिल्डिंग में ही बंदियों को रखा जाता है, इसके अलावा पूरे दिन स्टाफ भी रहते हैं। बरसात में तो छत से पानी भी टपक रहा है। ऐसे में जेल की दीवार कमजोर होते जा रहा है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। एक ओर बाउंड्रीवाल की ऊंचाई भी नहीं बढ़ाई जा रही है। पिछले 4 सालों से न तो जेल की मरमत की गई है और न पेंट किया गया है। इसलिए जेल की दीवारें लगातार कमजोर हो रही है। अगर जल्द ही जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देती है तो बड़ा हादसा हो सकता है।
जिला जेल की बात करें तो यहां क्षमता से अधिक बंदी है। जिला जेल में 280 बंदियों की क्षमता है। लेकिन वर्तमान में जिला जेल में 284 बंदी है। ऐसे में जेल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि अभी कुछ समय से बंदियों की संया कम ही रही है। क्षमता से अधिक बंदी होने से बैरकों में ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है। बंदियों के बीच कई बार लड़ाई व झगड़े की घटनाएं भी सामने आ चुकी है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन चेत नहीं रहा है। क्षमता से अधिक बंदियों को रखा जा रहा है, ऐसे में जेल की सुरक्षा में किसी भी समय सेंध लग सकती है।
जिला जेल के बगल में स्टाफ क्वार्टर का निर्माण किया गया है। इस क्वार्टर का भी मरमत नहीं होने के कारण प्रहरी सहित अन्य स्टाफ गुजर-बसर करने मजबूर हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जेलर का क्वार्टर इतना ज्यादा जर्जर हो चुकी है कि छत का प्लास्टर पूरी तरह से गिर चुका है। जेलर अपनी जान बचाकर दूसरे क्वार्टर में रहते हैं। इसके अलावा स्टाफ का क्वार्टर से पानी टपकने से दीवार काफी जर्जर हो चुकी है। मरमत आज दिनांक तक एक बार भी नहीं किया गया है। प्रहरी सहित अन्य स्टाफ इसी क्वार्टर अपने परिवार के साथ खतरे में रहने मजबूर हैं।
जिला जेल व स्टाफ क्वार्टर जर्जर स्थिति में है। बरसात सीजन में ज्यादा परेशानी हो रही है। जेल भवन के छत से पानी टपक रहा है तो स्टाफ क्वार्टर भी रहने लायक नहीं है। इस संबंध में कई बार उच्चाधिकारियों व पीडब्लूडी को अवगत कराया जा चुका है। इसके अलावा समय-समय पर बंदियों की चेकिंग की जाती है।
Updated on:
27 Aug 2024 02:43 pm
Published on:
27 Aug 2024 02:42 pm
बड़ी खबरें
View Allजांजगीर चंपा
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
