
CG Health Disease: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में रेयर बीमारी पेलाग्रा का जिला अस्पताल में पहली बार सफल इलाज डॉक्टरों की टीम द्वारा किया गया। यह रेयर बीमारी जिले के एक महिला को थी। इस चर्म रोग से शरीर का चेहरा, हाथ व पैर धीरे-धीरे कालापन आ जाता है। इससे समाज में जाने से हिचकती थी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने इसका सफल इलाज किया। अब महिला 99 प्रतिशत स्वस्थ हो चुकी है।
जिला अस्पताल पहले रेफरल सेंटर तक सीमित रह गया था। जिला अस्पताल से लोगों का मोह भंग हो चुका था। लोग सर्दी, बुखार के अलावा अन्य इलाज कराने नहीं जाते थे। लेकिन अब जिला अस्पताल में लगातार साधन, संसाधन के अलावा स्टाफ की भर्ती हो रही है। इससे जिलेवासियों को फायदा भी मिल रहा है। अकलतरा ब्लाक की बरगवां की रोशनी गोड़ चर्म रोग की विचित्र बीमारी पेलाग्रा से ग्रसित थी। इस बीमारी से चेहरा, हाथ, पैर धीरे-धीरे कालापन हो गया था। वर्तमान में कालापन बढ़ रहा था। डॉक्टरों की मानें तो यह बीमारी नियासिन विटामिन की कमी से होता है। यह रेयर बीमारी है। अगर सही समय में इलाज नहीं मिले तो मरीज की मृत्यु भी संभव है।
जिला अस्पताल में पहली बार इसका सफल इलाज किया गया। 20 दिन पहले बरगवां निवासी महिला इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंची। जहां जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर लोकेन्द्र कश्यप से मिली। डॉ. लोकेन्द्र कश्यप ने इसकी इलाज शुरू की। 20 दिन के बाद अब कालापन पूरा तरह से गायब हो गया। डॉक्टर का कहना है कि 99 प्रतिशत महिला स्वस्थ हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इससे अच्छा लगता है, जब मरीज ठीक हो और चेहरे में खुशी लौटे। महिला पहले खुद को दुसरों से छुपाकर दूर भागती थी। मरीज आज फिर से खुलकर जीना शुरू कर दी है।
विटामिन बी-3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में कम है, तो उन्हें पेलाग्रा हो सकता है।
कुछ दवाएं जैसे कि आइसोनियाजिड, विटामिन बी-3 के अवशोषण को कम कर सकती हैं।
यदि किसी को लंबे समय तक बीमारी है, जैसे कि कैंसर या एड्स तो उन्हें पेलाग्रा हो सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान विटामिन बी-3 की मांग बढ़ जाती है, कमी पर पेलाग्रा हो सकता है।
अत्यधिक शराब पीने से विटामिन बी-3 की कमी हो सकती है।
Updated on:
28 Aug 2024 04:30 pm
Published on:
28 Aug 2024 12:37 pm
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